– डिंडोरी जिले में बॉक्साइट की 5 खदानों को मिली मंजूरी,
– जनजातीय विरोध को किया नजरअंदाज
डिंडौरी। मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के बैगा बाहुल्य बजाग विकासखंड में सरकार ने बॉक्साइट और अलुमिनस लेटराइट की पांच खदानों को मंजूरी दे दी है। पिपरिया 1 और 2, बघरैली सानी, जल्दा और चाड़ा की तांतर पंचायत क्षेत्र में फैली इन खदानों के लिए कुल 1046 हेक्टेयर (लगभग 2585 एकड़) भूमि आरक्षित की गई है। इसमें अकेले 502 हेक्टेयर की खदान चाड़ा की तांतर पंचायत में स्वीकृत हुई है।
सरई और साल के घने वनों के बीच स्थित यह इलाका ‘राष्ट्रीय मानव’ घोषित बैगा जनजाति का पारंपरिक निवास स्थान है। खनन की स्वीकृति से न केवल उनकी संस्कृति और आजीविका को खतरा है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी गम्भीर रूप से प्रभावित होगा। स्थानीय ग्रामीणों और पंचायतों द्वारा बार-बार विरोध जताने के बावजूद उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया है।

– ग्रामीणों का विरोध और प्रशासन की अनदेखी
पिपरिया, जल्दा और बघरैली सानी के ग्रामीणों ने ग्रामसभा और पेसा समिति के माध्यम से खनन के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं। इसके साथ ही बैगा जनजाति की ज़मीनें धोखाधड़ी से हड़पे जाने की शिकायतें भी प्रशासन को दी गईं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा भी विरोध ज्ञापन सौंपा गया, पर प्रशासन और सरकार ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की।
– खनन का ठेका निजी कंपनियों को, ग्रामीण बेबस
इन खदानों में पिपरिया माल ए और बी तथा तांतर की खदान का ठेका आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन को, बघरैली सानी की 20 हेक्टेयर की खदान यश लॉजिस्टिक प्रा. लि. को और जल्दा की 210 हेक्टेयर की खदान बांदा की मेसर्स प्रीति को मिला है। बघरैली सानी में खनन कार्य की शुरुआत हो चुकी है, हालांकि फिलहाल काम बंद है क्योंकि निकाले गए बॉक्साइट के परिवहन का रास्ता तय नहीं हो सका है।
– बिना पुनर्वास, सीधे नीलामी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार द्वारा खनन क्षेत्र की पहचान और नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही बाहरी जिलों के लोग इस क्षेत्र की जमीनें खरीदने में सक्रिय हो गए थे। सरकार ने न तो इन जनजातीय परिवारों के पुनर्वास की कोई व्यवस्था की और न ही जमीनों की बिक्री पर कोई रोक लगाई। यह पूरी प्रक्रिया सरकार की आदिवासी हितों के प्रति उपेक्षा और खनन माफिया के प्रभाव को उजागर करती है।