-जनपद पंचायत डिंडौरी की ग्राम पंचायत कनाईसांगवा में वित्तीय अनियमितताओं की परतें खुलीं
डिंडौरी। राज्य सरकार भले ही पंचायत स्तर पर पारदर्शी भुगतान प्रणाली लागू करने के प्रयास कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। जनपद पंचायत डिंडौरी के अंतर्गत ग्राम पंचायत कनाईसांगवा में सरपंच-सचिव की मिलीभगत से 5वें राज्य वित्त और 15वें केंद्रीय वित्त आयोग की राशि का फर्जी बिलों और धुंधले दस्तावेजों के माध्यम से मनमाना भुगतान कर लाखों रुपये की हेराफेरी की गई है।
– धुंधले और बिना जीएसटी नंबर वाले बिलों से हुआ भुगतान
ग्राम पंचायत की सरपंच सुलोचना बनवासी और सचिव हृदय सिंह भवेदी पर आरोप है कि उन्होंने स्टेशनेरी, निर्माण कार्य, होटल-ढाबा, किराना सामग्री जैसे मदों में लाखों रुपये का भुगतान ऐसे बिलों के आधार पर किया, जो धुंधले और जीएसटी नंबर रहित थे। शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद 5,000 से अधिक के भुगतान के लिए जीएसटी नंबर अनिवार्य है, जिसे नजरअंदाज किया गया।
– ई-ग्राम स्वराज में फर्जी अपलोड, अधिकारियों की चुप्पी
ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों में कई बिल फर्जी, प्रयोजनविहीन, बिना जीओ टैग के और अमान्य फोटोयुक्त पाए गए हैं। अधिकारियों ने इनकी जांच किए बिना ही करोड़ों रुपये का भुगतान पारित कर दिया, जो कि नियमों की सीधी अवहेलना है।
– बिना अनुमोदन स्वीकृति के कराए निर्माण कार्य
सूत्रों के अनुसार कुछ निर्माण कार्य बिना जनपद पंचायत की स्वीकृति के ही प्रारंभ कर दिए गए, जिनमें सचिव और सरपंच की सीधी भूमिका सामने आई है। इससे न केवल ग्रामसभा की प्रक्रिया को दरकिनार किया गया बल्कि शासन की निधि का भी दुरुपयोग हुआ।
– जनपद सदस्य ने उठाई जांच की मांग
वहीं मामले को लेकर जनपद सदस्य संतोष सिंह चंदेल ने ग्रामीणों के शिकायत के अनुसार 22/ 04/2025 को सामान्य सभा की बैठक में अनियमितता को लेकर आपत्ति जताई है, जिस पर जांच का प्रस्ताव भी पास हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर जांच में अनियमितता सिद्ध होती है, तो संबंधित व्यक्तियों से राशि की वसूली की कार्रवाई की जाए।
– 15वें वित्त की राशि में भी जमकर बंदरबांट
पंचायत को प्राप्त 15वें वित्त आयोग की केंद्रीय सहायता का उपयोग भी गाइडलाइन के विपरीत किया गया। स्वच्छता, शिक्षा और अधोसंरचना के लिए निर्धारित 60:40 अनुपात को दरकिनार कर कार्यों का चयन और भुगतान बिना ग्रामसभा की स्वीकृति के किया गया।
कनाईसांगवा पंचायत में वित्तीय पारदर्शिता की धज्जियां उड़ाई गई हैं। अब देखना यह है कि संबंधित विभाग और प्रशासन इस पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करते हैं और ग्राम पंचायत की विश्वसनीयता को कैसे बहाल किया जाएगा