डिंडौरी। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्रामीणों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए कलेक्टर नेहा मारव्या द्वारा हर मंगलवार को जनसुनवाई आयोजित किए जाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। इन जनसुनवाइयों में पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और पटवारियों की अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित की जानी थी। लेकिन समनापुर क्षेत्र में यह व्यवस्था ठप होती नजर आई।
राजस्व विभाग की बैठक बनी जनसुनवाई में बाधा
जानकारी के अनुसार, जनसुनवाई के दिन समनापुर तहसीलदार पंकज तिवारी द्वारा ही राजस्व विभाग की बैठक आयोजित कर दी गई। इसके चलते क्षेत्र के सभी पटवारी नायब तहसीलदार की बैठक में मौजूद रहे और ग्राम पंचायतों में निर्धारित जनसुनवाई में नहीं पहुंचे।
ग्राम पंचायतों में पटवारियों की गैरहाजिरी से जनसुनवाई अधूरी
पटवारियों की अनुपस्थिति के कारण ग्राम पंचायतों में केवल पंचायत सचिव और रोजगार सहायक के भरोसे जनसुनवाई संपन्न कराई गई, जिससे राजस्व संबंधी शिकायतों का निराकरण नहीं हो सका। ग्रामीणों की भूमि, नामांतरण, सीमांकन, और रिकॉर्ड सुधार जैसी महत्वपूर्ण समस्याएं बिना हल के रह गईं।
– इन पंचायतों में राजस्व अधिकारी रहे अनुपस्थित
ग्राम पंचायत समनापुर, ग्राम पंचायत बंजारा , ग्राम पंचायत मोहती, ग्राम पंचायत डुगरिया, ग्राम पंचायत केवलारी, ग्राम पंचायत बिलाईखर
ग्राम पंचायत देवलपुर, ग्राम पंचायत मारगांव, ग्राम पंचायत करेगांव , ग्राम पंचायत जाता डोंगरी, ग्राम पंचायत भाजी टोला, ग्राम पंचायत चांदरानी
ग्राम पंचायत सरई, ग्राम पंचायत लदवानी, ग्राम पंचायत छांटा, ग्राम पंचायत पड़रिया दो, ग्राम पंचायत प्रेमपुर, ग्राम पंचायत नान डिंडौरी
ग्रामीणों में नाराजगी, कलेक्टर से शिकायत की तैयारी
गांव-गांव से लौटे ग्रामीणों ने जनसुनवाई को मज़ाक करार देते हुए कहा कि अगर अधिकारी ही अनुपस्थित रहेंगे तो जनता अपनी बात किससे कहे? ग्रामीणों का कहना है कि वे शीघ्र ही कलेक्टर नेहा मारव्या से मिलकर पूरे मामले की शिकायत करेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे।
प्रशासन की गंभीरता पर सवाल
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कलेक्टर के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। सवाल यह भी उठता है कि तहसीलदार पंकज तिवारी द्वारा जनसुनवाई के ही दिन राजस्व विभाग की बैठक क्यों बुलाई गई? क्या यह योजनाबद्ध ढंग से जनसुनवाई को विफल करने की कोशिश थी?