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Dindori News: कलेक्टर नेहा मारव्या की प्रशासनिक कसावट से लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों में छटपटाहट

Dindori Today News,डिंडौरी न्यूज। आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिला वर्षों से विकास की दौड़ में पिछड़ा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और ...

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Chetram Rajpoot

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Chetram Rajpoot

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Dindori Today News,डिंडौरी न्यूज। आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिला वर्षों से विकास की दौड़ में पिछड़ा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जिले को अब भी व्यापक सुधार की आवश्यकता है। प्रशासनिक स्तर पर अक्सर अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और लापरवाही की शिकायतें सामने आती रही हैं। हाल ही में जिले की नई कलेक्टर के रूप में नियुक्त हुईं नेहा मारव्या ने प्रशासनिक तंत्र को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कई प्रभावी निर्णय लिए हैं । उनकी कड़ी निगरानी और सख्त रवैये से लापरवाह एवं भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। दरअसल जिले के लोगों का ऐसा मानना है कि राज्य सरकार द्वारा यहां अक्सर अनुभवहीन अधिकारियों को पदस्थ किया जाता है, जो जिले को प्रयोगशाला के तौर पर उपयोग करते हैं, जिससे डिंडौरी जिला समावेशी विकास की मुख्यधारा से भटका हुआ है, विकास की बड़ी बड़ी बातें और दावे, आंकड़े महज नेता,मंत्री, मुख्यमंत्री, के मंचों और विभागीय दस्तावेजों में दफन है। 2011 बैच की आईएएस अफसर नेहा मारव्या शासन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रही हैं, फिलहाल नेहा मारव्या बतौर कलेक्टर डिंडौरी जिले में बेहतर काम कर रही हैं, कलेक्टर ने प्रशासनिक कसावट करते हुए अधिकारी कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए नीतिगत निर्देश दिए हैं।
– प्रभावी प्रशासनिक फैसलों से आई नई ऊर्जा
कलेक्टर नेहा मारव्या ने पदभार ग्रहण करते ही जिले के विकास कार्यों की समीक्षा शुरू कर दी। उनकी प्राथमिकता है कि सभी सरकारी योजनाओं का लाभ सही हकदारों तक पहुंचे और प्रशासनिक स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जाए। उन्होंने जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि लापरवाही और भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। कलेक्टर नेहा मारव्या के निर्देश पर शासन द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्र, समस्त स्कूल, स्वास्थ्य केंद्रों सहित तमाम दफ्तरों में कलेक्टर सहित तमाम जिम्मेदार अधिकारियों के फोटो मय मोबाईल नंबर प्रदर्शित किए गए हैं। यदि जिले में कही भी किसी भी तरह से नागरिकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं तो आम नागरिक भी इसकी सूचना कलेक्टर को दे सकते है।  सूत्रों के अनुसार, कलेक्टर ने अब तक कई विभागीय बैठकों में उन अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है, जो अपने कार्यों में लापरवाही बरत रहे थे। उन्होंने विकास कार्यों की धीमी गति पर नाराजगी जताई और इसे तत्काल गति देने के आदेश दिए है।
– अचानक निरीक्षण से मचा हड़कंप
कलेक्टर नेहा मारव्या की कार्यशैली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पदभार ग्रहण करने के साथ एक सप्ताह के भीतर कई विभागों का औचक निरीक्षण किया। विभिन्न सरकारी दफ्तरों, अस्पतालों, स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में उनके अचानक पहुंचने से लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप की स्थिति हैं। कई जगहों पर उन्हें खामियां भी मिलीं, जिन पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
– स्वास्थ्य और आंगनबाड़ी केंद्रों का सघन निरीक्षण 
 जिला अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों निरीक्षण करते समय कलेक्टर ने अव्यवस्थाओं को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और मरीजों तथा महिला एवं बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के निर्देश दिए। पदभार ग्रहण करते ही कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग की बैठक लेते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों की रिपोर्ट तलब की थी, इसके साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों की संचालन एवं स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कलेक्टर संवेदनशील है।
– शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने जिम्मेदारों को निर्देश 
स्कूलों की स्थिति का जायजा लेने के दौरान उन्होंने शिक्षकों की उपस्थिति, छात्रों को दी जा रही सुविधाओं और शैक्षणिक स्तर की भी समीक्षा की। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि शिक्षा की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
– अनुपयोगी स्थलों पर कार्य करने वालों से होगी वसूली 
 जिले में अनुपयोगी स्थलों में महज ढांचा बनाकर सरकारी राशि का बंदरबांट करने के अनेकों मामले हैं, जिनके निर्माण में लाखों करोड़ों रुपए व्यय किए गए हैं, लेकिन अनुपयोगी स्थलों या गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों के चलते लक्षितों को लाभ नहीं मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के तहत कराए जा रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर नेहा मारव्या ने साफ कहा कि भ्रष्टाचार या अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। डिंडौरी जिले में पहली बार आरईएस विभाग द्वारा कराए गए अमृत सरोवर निर्माण कार्यों की अनुपयोगीस्थलों पर स्वीकृत करने वाले तकनीकी अधिकारियो से आरसीसी के तहत वसूली प्रकरण पेश करने के निर्देश जिला पंचायत सीईओ को दिए हैं।
– देश में सबसे क्यों पिछड़ा डिंडौरी जिला ..?
आर्थिक जातिगत जनगणना के अनुसार विकास के पैमाने पर डिंडौरी जिला पूरे देश में सबसे पिछड़ा हुआ माना जाता है, ऐसा नहीं है कि जिले के विकास के नाम पर सरकारों ने कोई काम नहीं किया है, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विकास के नाम पर करोड़ों अरबों रुपए पानी की तरह बहाने के बावजूद धरातल में हालात नहीं बदले..? इसका मुख्य कारण नीतिगत कार्ययोजना में लापरवाही और भ्रष्टचार को माना जा सकता है, शिक्षा, स्वास्थ, सिंचाई, जैसे क्षेत्रों में निर्मित ढांचागत निर्माण महज आज भी सफेदहाथी साबित हो रहे हैं.. जिनका लाभ निर्माण के दशकों बाद भी आम जनता को नहीं मिला है, रोजगार सृजन न होना,कृषि उत्पादन में धीमी वृद्धि, कमजोर शैक्षणिक व्यवस्था, और धीमी आर्थिक विकास के चलते डिंडौरी जिला दुर्दशा का शिकार हैं..? लोक और तंत्र की सामूहिक सहभागिता से समावेशी विकास की राह पर बढ़ते हुए डिंडौरी की तस्वीर बदली जा सकती हैं।
– भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों में मची खलबली
कलेक्टर नेहा मारव्या की कार्यशैली से वे अधिकारी और कर्मचारी खासे परेशान हो गए हैं, जो जनता के विकास के नाम पर अपनी झोली भरते हुए कमाई करते हुए कामचोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त थे। जिले में प्रशासनिक स्तर पर फैली लचर व्यवस्था को सुधारने के लिए उन्होंने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब लापरवाही की कोई जगह नहीं होगी। कलेक्टर नेहा मारव्या के प्रयासों से जिले की जनता को अब यह उम्मीद जगी है कि डिंडौरी का प्रशासन अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनेगा। अगर इसी तरह प्रशासनिक कसावट जारी रही, तो निश्चित ही जिले को विकास की नई राह पर ले जाया जा सकता है।
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