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मनरेगा में भ्रष्टाचार! बरसिंघा में बगैर नाला,जरूरत से अधिक रो की पुलिया बना ग्राम पंचायत ने उड़ाए नियमों की धज्जियाँ ,सवालों के घेरे में तकनीकी अमला?

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  • बरसिंघा पंचायत में पुलिया निर्माण में भारी भ्रष्टाचार, ग्रामीणों में रोष
डिंडौरी न्यूज। अमरपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत बरसिंघा में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत स्वीकृत पुलिया निर्माण में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। करीब 14 लाख रुपए की लागत से बनाए जा रहे पुलिया निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने पंचायत और तकनीकी अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में ग्राम बरसिंघा के घूघरा नाला पर पुलिया निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत से ही नियमों को ताक पर रखते हुए तकनीकी मानकों की अनदेखी की गई। बिना उचित बेस के साइड वॉल बना दी गई और पाइप के नीचे सिर्फ बोल्डर भर दिए गए। एप्रोन (सुरक्षा ढांचा) का निर्माण भी नहीं किया गया है।
सबसे बड़ी लापरवाही यह देखी गई कि साइड वॉल की ऊँचाई निर्धारित मापदंडों के अनुसार नहीं बनाई गई, जिससे पुलिया खेतों की सतह से भी नीचे दिखाई दे रही है। इससे आने वाले समय में जल भराव और कृषि भूमि को नुकसान पहुँचने की आशंका है।
जरूरत से ज्यादा रो की पुलिया बनी, कार्यस्थल चयन पर भी सवाल
ग्रामवासियों का आरोप है कि निर्माण एजेंसी और पंचायत ने एक छोटे नाले पर आवश्यकता से अधिक पाँच रो की भारी-भरकम पुलिया बनवा दी, जबकि स्थल की स्थिति इस तरह की संरचना के अनुकूल नहीं थी। ग्रामीणों का कहना है कि यह सब अधिक लागत दिखाकर सरकारी राशि के दुरुपयोग की नीयत से किया गया।
जिम्मेदारों पर गंभीर आरोप
स्थानीय नागरिकों ने सरपंच, पंचायत सचिव और उपयंत्री पर मिलीभगत कर योजना की राशि का बंदरबांट करने का आरोप लगाया है। तकनीकी अमले — उपयंत्री और एसडीओ — के कार्यस्थल चयन एवं निर्माण की स्वीकृति प्रक्रिया को लेकर भी गहन जांच की माँग उठ रही है।
ग्रामीणों की माँग: हो निष्पक्ष जांच
ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके और सरकारी राशि का दुरुपयोग रोका जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच, सचिव और उपयंत्री के द्वारा अपने चहेते सप्लायर का बिल लगाकर मोटी कमीशनखोरी की जा रही है, वहीं उपयंत्री उमेश भोरगडे पर आरोप है कि बगैर कार्य स्थल के परीक्षण किए बगैर साहब आंख बंद कर मूल्यांकन करते हुए शासन को पलीता लगा रहे हैं। मामले को लेकर जानकारी हेतु एसडीओ और उपयंत्री से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।