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Dindori News : पिपरिया गांव में बॉक्साइट खनन का विरोध, दलालों पर आदिवासियों की जमीन हड़पने के आरोप : बसपा जिलाध्यक्ष ने सौंपा ज्ञापन

– सक्रिय दलालों ने छल कपट से बिकवा दिया बैगा आदिवासियों की जमीन  – रोड पति से करोड़पति बन गए कथित दलाल?  ...

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Chetram Rajpoot

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– सक्रिय दलालों ने छल कपट से बिकवा दिया बैगा आदिवासियों की जमीन 
– रोड पति से करोड़पति बन गए कथित दलाल? 
डिंडौरी न्यूज। जिले के बजाग विकासखंड अंतर्गत पिपरिया गांव में बॉक्साइट खनन को लेकर भारी विरोध तेज हो गया है। ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव के माध्यम से आदिवासी ग्रामीणों ने खनन परियोजना को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की है। इस मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जिलाध्यक्ष असगर सिद्दीकी ने भी हस्तक्षेप करते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और समूचे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्ष 2015 से पिपरिया गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में आदिवासियों से धोखाधड़ी कर अत्यधिक कम कीमतों में लगभग 900 एकड़ जमीन खरीदी गई। ग्रामीणों का आरोप है कि दलालों और भू-माफियाओं ने उनकी अशिक्षा और निर्धनता का फायदा उठाकर जमीन की रजिस्ट्री कराई, जबकि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि उनकी भूमि बॉक्साइट जैसे कीमती खनिज से भरपूर है।
– पेसा अधिनियम के तहत खनन का विरोध
ग्राम सभा की विशेष बैठक में ग्रामीणों ने पेसा अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत खनन को अनुचित ठहराते हुए प्रस्ताव पारित किया। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि ग्राम सभा की पूर्व सहमति के बिना भूमि का उपयोग नहीं किया जा सकता, और प्रस्तावित खनन उनके सांस्कृतिक, धार्मिक और आजीविका अधिकारों का हनन करेगा।
– कथित भू-माफियाओं की भूमिका संदिग्ध
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि जिन व्यक्तियों के नाम पर जमीन खरीदी गई है, उनके पते लगातार बदलते पाए गए हैं। इनमें से एक व्यक्ति के नाम पर डिंडोरी जिले में विभिन्न स्थानों पर सैकड़ों एकड़ भूमि दर्ज है, जबकि उसके बैंक खातों और पैतृक जमीन की स्थिति संदेहास्पद है। यह संदेह जताया गया है कि बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर भूमि का हस्तांतरण किया गया है।
– सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला
ज्ञापन में उड़ीसा के नियमगिरि मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि आदिवासी समुदायों को अपनी भूमि और परंपराओं की रक्षा का संवैधानिक अधिकार है, और किसी भी परियोजना से पूर्व एफपीआईसी (स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति) प्राप्त करना अनिवार्य है।
– जांच की मांग
बसपा जिलाध्यक्ष असगर सिद्दीकी ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि जिले में आदिवासियों की भूमि की खरीद-फरोख्त और खनन अनुमति की गहराई से जांच की जाए। साथ ही दोषियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए और आदिवासियों की जमीन वापस दिलाई जाए।
RNVLive

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