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Dindori Latest News : स्व सहायता समूह की महिलाओं का कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन: कलेक्टर से मुलाकात के बाद खत्म हुआ आक्रोश

– किसने भड़काया समूह की महिलाओं को..? – कार्रवाई के डर से अधिकारियों ने तो नहीं लिखी प्रदर्शन की पटकथा…? आजीविका मिशन ...

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Chetram Rajpoot

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Chetram Rajpoot

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– किसने भड़काया समूह की महिलाओं को..?
– कार्रवाई के डर से अधिकारियों ने तो नहीं लिखी प्रदर्शन की पटकथा…?
आजीविका मिशन में विभिन्न गतिविधियों के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया है, अनियमितताओं की जांच करने हेतु कलेक्टर नेहा मारव्या ने टीम गठित की है, जिससे क्रियान्वय में गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदारों की धड़कने बढ़ी हुई है। मंगलवार को समूह की महिलाओं ने अचानक विरोध प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगी, समूह की महिलाएं कह रही थीं कि हमारा समूह फर्जी नहीं हैं.. हमारे अधिकारी अच्छे हैं..? सूत्रों की माने तो विरोध प्रदर्शन के पीछे कथित तौर एक महिला जनप्रतिनिधि, जिला पंचायत के कुछ अधिकारी, सहित आजीविका मिशन के घोटालेबाजो की भूमिका बताई जा रही हैं..?
डिंडौरी न्यूज। मंगलवार शाम डिंडोरी जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट परिसर उस समय हंगामेदार हो गया जब स्व सहायता समूहों से जुड़ी सैकड़ों महिलाओं ने अचानक नारेबाजी शुरू कर दी। महिलाएं “कलेक्टर मैडम बाहर आओ” जैसे नारों के साथ विरोध जताने लगीं। करीब एक घंटे तक चली इस हलचल के बाद महिलाओं का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला और मामला शांत हुआ।
– पूरा मामला: क्यों पहुंचीं महिलाएं कलेक्ट्रेट
मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के परियोजना अधिकारी जे.एस. पट्टा द्वारा जिले के सभी सात विकासखंडों के ब्लॉक मैनेजरों (बीएम) को निर्देशित किया गया था कि वे अपने-अपने विकासखंडों से स्व सहायता समूह की महिलाओं को आवश्यक दस्तावेजों (आधार कार्ड, समूह रजिस्ट्रेशन आदि) के साथ बैठक हेतु कलेक्ट्रेट आर्टिटोरियम में भेजें।
आदेशानुसार बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह 11 बजे से ही वहां पहुंच गई थीं। इनमें अधिकांश महिलाएं समनापुर, बजाग, शहपुरा, मेहंदवानी और अमरपुर जैसे दूरदराज के क्षेत्रों से थीं। वे अपने दैनिक कार्य छोड़कर बैठक के उद्देश्य से उपस्थित हुई थीं।
– महिलाओं का ग़ुस्सा क्यों भड़का
शाम लगभग साढ़े चार बजे कलेक्टर नेहा मारव्या सिंह बैठक में पहुंचीं। उन्होंने मंच से उपस्थित महिलाओं से दस्तावेज दिखाने को कहा। कुछ महिलाएं दस्तावेज नहीं ला सकीं, जिस पर कलेक्टर ने कहा कि “जब सभी दस्तावेज पूरे हो जाएंगे, तब दिखाइएगा,” और फिर कार्यालय लौट गईं।
इसी बात से महिलाओं ने खुद को अनसुना और उपेक्षित महसूस किया। उनका कहना था कि वे सुबह से भूखी-प्यासी बैठी थीं और कलेक्टर ने बिना बातचीत किए वापस लौटकर उनका अपमान किया।
– नारेबाजी और हंगामा
कलेक्टर के लौटते ही महिलाएं नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में उतर आईं। “कलेक्टर मैडम बाहर आओ”, “हमसे बात करो”, जैसे नारे गूंजने लगे। स्थिति को बिगड़ता देख आजीविका मिशन और राजस्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और महिलाओं को समझाने का प्रयास किया।
– राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप
बात नहीं बनने पर जिला पंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते और भाजपा जिला अध्यक्ष चमरू सिंह नेताम स्वयं मौके पर पहुंचे। उन्होंने महिलाओं से बातचीत कर उन्हें शांत किया। अंततः कुछ महिला प्रतिनिधि कलेक्टर के चैंबर में जाकर उनसे मिले।
कलेक्टर नेहा मारव्या सिंह ने कहा,
“आज मेरा महिलाओं से सीधे संवाद का कोई निर्धारित कार्यक्रम नहीं था। आजीविका मिशन के अधिकारियों के आग्रह पर मैं वहां पहुंची थी। जब कुछ महिलाएं आवश्यक दस्तावेज नहीं लाई थीं, तो मैंने उन्हें पूर्ण दस्तावेज़ लाने को कहा।
महिलाओं ने मानी अपनी भूल
कलेक्टर से मिलने के बाद बाहर आई महिला अनुसुइया ने बताया,  “हमें मिशन के अधिकारियों ने मैसेज भेजा था, लेकिन जानकारी पूरी स्पष्ट नहीं थी। इस वजह से हम गलतफहमी में आ गए और हमें लगा कि कलेक्टर ने हमारी बात नहीं सुनी। अब सारी बात स्पष्ट हो गई है।”

“समूहों की रिकॉर्ड परीक्षण के लिए बैठक बुलाई गई थी ,आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित समूहों का रिकॉर्ड ब्लॉक और जिला स्तर पर सुव्यवस्थित नहीं है। समूहों का रिकॉर्ड दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। इन समूहों को पारदर्शी, जवाबदेह और सशक्त बनाया जाएगा।”

श्रीमती नेहा मारव्या , कलेक्टर डिंडौरी 

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