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आचार्य विद्यासागर जी की अविस्मरणीय स्मृतियों को सहेजने ज़िले में मंगल चरण की स्थापना

डिंडौरी न्यूज़। महान संत, विचारक और मूकमाटी महाकाव्य के रचनाकार आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की दिव्य स्मृतियों को चिरस्थाई बनाए ...

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Chetram Rajpoot

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Chetram Rajpoot

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डिंडौरी न्यूज़। महान संत, विचारक और मूकमाटी महाकाव्य के रचनाकार आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की दिव्य स्मृतियों को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए उनके प्रथम समाधि दिवस पर सकल जैन समाज के द्वारा परम पूज्य आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के पावन चरणों की भव्य अगवानी का जुलूस सुबह 9 बजे बड़े मंदिर जी से प्रारंभ होकर बीजेपी कार्यालय से कांच मंदिर होते हुए जिला चिकित्सालय से वापिस बड़े मंदिर पर समापन हुआ जिस पश्चात डिंडोरी ज़िले में मंगल चरण की प्रतिष्ठा की गई। सात धातुओं से निर्मित 24 इंच के ये पावन चरण उन 108 नगरों के सौभाग्यशाली श्रद्धालुओं को प्राप्त होंगे, जिन्होंने अपने जीवन को उनके सिद्धांतों के अनुरूप समर्पित किया है।

चिरशांति की ओर अंतिम कदम

18 फरवरी 2024, रात्रि 2:30 बजे, डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) स्थित चन्द्रगिरि पर्वत पर उन्होंने देह का त्याग कर महासमाधि धारण की और पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके निर्वाण से संपूर्ण जैन समाज एवं आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई, परंतु उनके विचार और सिद्धांत युगों तक प्रेरणा देते रहेंगे।

– राष्ट्र की श्रद्धांजलि : 100 रुपये का विशेष स्मारक सिक्का और रजत पत्र

आचार्य श्री की अविस्मरणीय शिक्षाओं और योगदान को सम्मान देने हेतु भारत सरकार ने उनके सम्मान में 100 रुपये मूल्य का विशेष स्मारक सिक्का जारी किया है। साथ ही, मूकमाटी महाकाव्य को रजत पत्र पर अंकित किया गया है, जिससे यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहे। इसके अतिरिक्त, जयशतक परिषद की विशेष उपलब्धियों को भी रजत पत्र पर स्थान दिया गया है।

– आचार्य श्री विद्यासागर जीः तप, ज्ञान और साहित्य की प्रेरणास्रोत विभूति

10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में जन्मे आचार्य विद्यासागर जी महाराज का जीवन प्रेरणादायक तपस्या, ज्ञान और आत्मशुद्धि का उदाहरण रहा। उन्हें आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज से दीक्षा प्राप्त हुई और वे अपने अपूर्व आध्यात्मिक तेज एवं ज्ञान के बल पर आचार्य पद तक पहुंचे।

– आदिवासी समाज के कल्याण हेतु निःशुल्क विद्यालय का शिलान्यास

छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरि में सभा के आयोजन में भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से आचार्य श्री की स्मृति में डिंडोरी ज़िले के ग्राम कारोंपानी में आचार्य विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित हथकरघा प्लांट में आदिवासी समाज के कल्याण हेतु निःशुल्क विद्यालय का शिलान्यास किया गया है जो संपूर्ण ज़िले के लिए गौरव की बात है।

वही अधिवक्ता सम्यक् जैन ने बताया कि वे केवल एक संत ही नहीं बल्कि एक महान साहित्यकार भी थे। उनकी कृतियाँ संस्कृत, हिंदी एवं अंग्रेजी में उपलब्ध हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “मूकमाटी महाकाव्य” भारतीय साहित्य में अद्वितीय स्थान रखती है। इतना ही नहीं, इसे कई विश्वविद्यालयों में हिन्दी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। वही जुलूस में समाज के अध्यक्ष संजय जैन, डॉ सुनील जैन, संजीव जैन, प्रभात जैन, सतेंद्र जैन, रितेश जैन, मालिनी जैन, ज्योति जैन, रेखा जैन, विद्या युवा जैनम के अध्यक्ष अंबर जैन, गोलू जैन, पराग जैन एवं समस्त सकल जैन समाज उपस्थित थी।

 

 

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