जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने POCSO अधिनियम के व्यापक प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि इस अवधि में जवाब नहीं दिया गया, तो 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ जवाब स्वीकार किया जाएगा।
याचिकाकर्ता अमिताभ गुप्ता द्वारा दायर इस याचिका में POCSO अधिनियम की धारा 43 के सख्त अनुपालन की मांग की गई है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को अधिनियम के प्रावधानों के बारे में टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाने का दायित्व दिया गया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे कम उम्र के युवा कानून की जानकारी न होने के कारण इसके कठोर दंड प्रावधानों का शिकार हो रहे हैं।
इससे पहले, 9 जनवरी को हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था। अब मामला छह सप्ताह बाद फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।