Home / मंडला एनकाउंटर पर सियासी संग्राम: कांग्रेस का वॉकआउट, न्यायिक जांच की मांग

मंडला एनकाउंटर पर सियासी संग्राम: कांग्रेस का वॉकआउट, न्यायिक जांच की मांग

– नक्सली मुड़भेड़ के नाम पर आदिवासी बैगा की हत्या के बाद पसरा सन्नाटा …? – न्याय के लिए सिर्फ आदिवासी संगठन ...

Photo of author

Chetram Rajpoot

Post date

Chetram Rajpoot

Published on:

– नक्सली मुड़भेड़ के नाम पर आदिवासी बैगा की हत्या के बाद पसरा सन्नाटा …?

– न्याय के लिए सिर्फ आदिवासी संगठन उठा रहे आवाज, हिन्दू रक्षा से जुड़े संगठनों की बोलती बंद क्यों..?

 

भोपाल । मध्य प्रदेश के मंडला जिले में हुए कथित एनकाउंटर को लेकर मंगलवार को विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस ने सरकार पर आदिवासी विरोधी मानसिकता का आरोप लगाते हुए न्यायिक जांच की मांग की और सदन से वॉकआउट कर दिया।

नक्सली को मारा या निर्दोष आदिवासी को?

मंडला के कान्हा नेशनल पार्क में 9 मार्च को हुई मुठभेड़ में हीरन परते नाम के व्यक्ति की मौत हुई थी। पुलिस ने पहले उसे नक्सली बताया, फिर नक्सल समर्थक करार दिया। लेकिन मृतक के परिजनों का कहना है कि हीरन परते सिर्फ वनोपज लेने जंगल गया था और उसके पास सिर्फ कुल्हाड़ी और पानी था।

सरकार की सफाई: गोलीबारी के बाद बरामद हुआ शव

राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने विधानसभा में कहा कि 9 मार्च को पुलिस को सूचना मिली थी कि झुलुप फॉरेस्ट कैंप में दो वॉचर नक्सलियों को राशन सप्लाई कर रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने संदिग्धों की निगरानी की और जब तीन लोग राशन लेने पहुंचे, तो पुलिस और नक्सलियों के बीच दो घंटे तक मुठभेड़ हुई। गोलीबारी के बाद एक शव बरामद हुआ, लेकिन वह नक्सली प्रोफाइल से मेल नहीं खाता था।

शव की पहचान के बाद विवाद गहराया

12 मार्च को मृतक की पत्नी ने गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद शव की पहचान हीरन परते के रूप में हुई। इस पर कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने सवाल उठाया कि यदि हीरन परते नक्सली था, तो मुख्यमंत्री ने उसके परिवार को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता क्यों दी?

सरकार का ऐलान: जांच के बाद ₹1 करोड़ का मुआवजा और सरकारी नौकरी

सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने मानवीय आधार पर आर्थिक सहायता दी थी। संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार मामले की मजिस्ट्रियल जांच करा रही है।

राज्यमंत्री पटेल ने सदन में कहा कि यदि जांच में मृतक का नक्सली कनेक्शन नहीं पाया जाता, तो उसके परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी दी जाएगी।

विपक्ष का विरोध, कांग्रेस का वॉकआउट

कांग्रेस ने न्यायिक जांच, ₹1 करोड़ मुआवजा और मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। जब सरकार ने न्यायिक जांच पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया, तो कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी की और सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया।

हिरन बैगा की मौत के बाद बिलखते परिजन 

आदिवासी विरोधी नीतियों का आरोप

कांग्रेस के आदिवासी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाया कि हॉक फोर्स निर्दोष आदिवासियों को फर्जी एनकाउंटर में मार रही है। उन्होंने कहा कि “सरकार पुलिस पर कार्रवाई करने की बजाय आदिवासी समुदाय को दबाने की कोशिश कर रही है।”

मामले की निष्पक्ष जांच की मांग़

विपक्ष और आदिवासी संगठनों ने सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की है। सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के निर्देशों के तहत मजिस्ट्रियल जांच कराई जा रही है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाती है।

RNVLive

Related Articles