जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती नियम 2018 को असंवैधानिक करार देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह भर्ती प्रक्रिया को NCTE (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) के नियमों के अनुसार संशोधित कर लागू करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता 45% होगी और OBC, SC, ST एवं दिव्यांग अभ्यर्थियों को 5% अंकों की छूट दी जाएगी।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने 19 फरवरी 2025 को सभी याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था और 18 मार्च 2025 को 28 पेज का आदेश जारी किया।
कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने शिक्षक भर्ती नियम 2018 के नियम 8, अनुसूची-3, कॉलम-1 में असंवैधानिक प्रावधान शामिल किए, जिससे हजारों अभ्यर्थी न्याय से वंचित रह गए। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि—

-हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में न्यूनतम योग्यता 45% होगी।
– OBC, SC, ST एवं दिव्यांग अभ्यर्थियों को 5% अंकों की छूट मिलेगी।
– पिछले वर्षों में अपात्र घोषित अभ्यर्थियों को दो माह के भीतर समायोजित कर नियुक्ति दी जाएगी।
– यदि आवश्यक पद रिक्त नहीं हैं, तो नए पद सृजित कर योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्त किया जाए।
– भर्ती प्रक्रिया को NCTE और RTE (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) कानून के अनुरूप पारदर्शी बनाया जाए।
सरकार की अनदेखी पर हाईकोर्ट सख्त
हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार को नियमों में संशोधन करने के लिए कई बार समय दिया गया था, लेकिन सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके बावजूद 2023 में पुनः भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई, जिससे हजारों योग्य अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए।
शिक्षक भर्ती में मध्यप्रदेश सरकार की मुश्किलें बदती जा रही है, मध् प्रदेश सरकार समस्त तथ्यों को जानते हुए भी असंवैधानिक नियमो के आधार पर 2018 में हाईस्कूल शिक्षको की हजारो नियुक्ति कर दी गई तथा हाईकोर्ट के अन्तरिम आदेशो के बाबजूद भी 2023 में भी हजारो पदों पर नियुक्ति की गई है।
2018 की पात्रता परीक्षा के पश्चात स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अक्तूबर 2021 से भर्ती नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ की गई जिसमे अनेक अभ्यर्थी जिनके अंक 50% से कम तथा 45% से अधिक थे लेकिन उनकी अंकसूची में थर्ड डिवीजन लिखे होने के कारण उनको नियुक्ति नहीं दी गई है तथा जिन अभ्यर्थियो के अंक 45.1% से 49.6% थे लेकिन उनकी अंक सूची में सेकेंड डिवीजन लिखे होने के कारण उनको नियुक्ति दे दी गई। जिन अभ्यर्थियो को नियुक्ति नहीं दी गई उनमे से एक अभ्यर्थी अवनीश त्रिपाठी द्वारा 2021 में याचिका दायर करके शिक्षक भर्ती नियम 2018 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई जिसमे राज्य शासन से जबाब तलब करके उक्त असंवैधानिक नियमो में सुधार करने हेतु हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई बार समय दिया गया लेकिन सरकार ने नियमो में कोई सुधार नहीं किया गया तथा 2023 की पात्रता परीक्षा आयोजित करके पुनः भर्ती प्रक्रिया आरंभ कर दी गई।

सरकार के उक्त कृत्य के विरुद्ध हरदा निवासी अनूसूचित जनजाति की अभ्यर्थी शिवानी शाह याचिका कर्माक 29828/2024 दायर करके नियमो की संवैधानिकता सहित एससी/एसटी को योग्यता में छूट नहीं दिए जाने को चुनौती दी गई जिसमे हाईकोर्ट ने दिनांक 16.10.2024 को सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया को याचिका के निर्णयाधीन कर दी गई तथा राज्य शासन को नियमो में सुधार करने समय दिया गया लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाबजूद भी नियमो में सुधार नहीं किया गया और न ही सरकार ने उक्त नियमो में संशोधन करने की कोर्ट को अंडरटेकिंग दी गई तब हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच के मुख्य नयायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ द्वारा सभी याचिकाओ की दिनांक 19/02/2025 को (WP/10018/2021, WP/22082/2021, WP/684/2023, WP/3198/2023, WP/8253/2023, WP/16874/2023, WP/1177/2024, WP/23704/2024, WP/29838/2024) एक साथ सुनवाई करके दिनांक 18/03/2025 को 28 पेज का आदेश पारित किया गया।
उक्त आदेश में समस्त याचिकाओं को समायोजित करते हुए शिक्षक भर्ती नियम 2018 के नियम 8 की अनुसूची 3 के कालम एक को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया तथा आदेशित किया गया की, एनसीटीई नियम के अनुरूप योग्यता 50% तथा 45% की जाए तथा ओबीसी/SC/ST एव दिव्यंगों को योग्यता मे 5% छूट प्रदान की जाए तथा जिन अभ्यर्थियो को नियुक्तियों में भाग लेने से बंचीत किया गया है या जिनको नियुक्तीय नहीं दी गई है उन सभी को भविष्य में भरे जाने बाले पदो के विरुद्ध, पद सृजित करके दो माह के भीतर नियुक्ति प्रदान की जाए ।
याचिकाकर्ताओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, शिवांशु कोल, रमेश प्रजापति, सतेयेन्द्र ज्योतषी, राजमानी सिंगरौल, रुबी हल्दकार, वृंदावन तिवारी ने पैरवी की ।