राजगढ़ न्यूज। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यक्रम के दौरान एक बुजुर्ग मरीज की इलाज में देरी से मृत्यु हो गई, जिससे प्रशासन की अमानवीयता पर सवाल उठ रहे हैं। रविवार को राजगढ़ निवासी अमिचंद्र सोनी को अचानक घबराहट और बेचैनी महसूस हुई। परिजनों ने तुरंत उन्हें वाहन से जिला अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया। उसी समय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अस्पताल के 200 बिस्तरों वाले नए भवन और शौर्य स्मारक के लोकार्पण के लिए वहां उपस्थित थे, जिससे सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे, परिजनों का आरोप है कि वीआईपी प्रोटोकॉल के चलते उनके वाहन को कई स्थानों पर रोका गया, जिससे अस्पताल पहुंचने में देरी हुई। अस्पताल पहुंचने पर भी सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें अंदर जाने से रोका, जिससे समय पर इलाज नहीं मिल सका और मरीज की मृत्यु हो गई।
– कांग्रेस ने की घटना की निंदा
इस घटना पर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में अस्पताल में इलाज के इंतजार में एक व्यक्ति की मौत हो गई। उन्होंने पूछा कि इसका जिम्मेदार कौन है और कार्रवाई कब होगी।
– परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाया आरोप
घटना के बाद मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बाद जब वे बाहर निकले, तो मृतक की एक महिला रिश्तेदार ने हंगामा किया, जिसे कलेक्टर गिरीश कुमार शर्मा ने समझाकर शांत कराया।
आखिर असमय मौत के लिए किसकी जवाबदेही तय होगी..?
यह घटना प्रशासनिक अमानवीयता को उजागर करती है। सवाल उठता है कि वीआईपी प्रोटोकॉल के चलते आम जनता की जान जोखिम में क्यों डाली गई? क्या प्रदेश सरकार दोषियों पर कार्रवाई करेगी? यदि सुरक्षा कर्मियों ने मरीज को समय पर अस्पताल में प्रवेश करने दिया होता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। इस घटना की निष्पक्ष जांच आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।