डिंडौरी। आर्थिक तौर पर अति पिछड़े डिंडौरी जैसे छोटे़ जिले में प्रतिदिन करोड़ो रू.का तम्बाखु गुटका खाकर लोग थूॅक रहें हैं….यह बात भले ही आपको हजम न हो लेकिन यह कड़वा और अंतिम सत्य हैं….नशामुक्ति के खोखले सरकारी दावों और नारों को किनारे करते हुए वर्तमान में समाज नशा के दल दल में धँसता जा रहा हैं, मोटी राजस्व के चाह में सरकार ने गाॅव गाॅव गली गली में धीमा जहर बेचने की खुली छूट दे रखा हैं, राजश्री जैसे तमाम तम्बाखु उत्पादों का सेवन करते देखा देखी में नाबालिगों के साथ ही नई पीढी तरह तरह के नषीली वस्तुओं की शौकीन होते हुए नशे की आदी होते जा रही हैं, नशीली वस्तुओं के मकडजाल में लिपटते नई पीढी समाज के लिए चिंता का विषय हैं, एक जमीनी अनुमान के अनुसार डिंडौरी जिले में हर तीसरा और चौथा व्यक्ति नषीली वस्तुओं का शौकीन हैं, जानकारों की बातों पर यदि गौर करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार डिंडौरी जिले की कुल आबादी लगभग 7 लाख आॅकी गई थी जो 2021 तक में 10 लाख होने का अनुमान हैं।
जिले में राजश्री के शौंकीनों की संख्या अन्य नशीली वस्तुओं के अनुपात में सबसे ज्यादा हैं, गाॅव और कस्बों में सबसे ज्यादा राजश्री पान मसाला की खपत हो रही हैं, बडे़ बुजुर्गो के साथ ही युवा पीढी और महिलाओं में राजश्री का अच्छा खासा चलन हैं,राजश्री के सेवन में पुरूषों से पीछे महिलाएं भी नही हैं,एक रूपये कीमत से शुरू हुई राजश्री की पाउच अब बड़े पैक में 40-50 रू. में पूरी रफ्तार से बाजार में धूम मचाया हुआ हैं। मोटा मोटी अनुमानों की माने तो 2 लाख लोग यदि प्रतिदिन राजश्री के एक पैकट की खपत करते हुए 50 रू. खर्च करते हैं तब भी कम से कम एक करोड़ रू. की राजश्री जिले में विक्रय की जा रही है। राजश्री के साथ ही विमल पान मसाला,पान पराग, पान बहार,रजनीगंधा,समेत दर्जनों विरायटी के पान मसाला कंपनिया लुभावने प्रकिृया के तहत कारोबार बढाने में जुटे हुए हैं।
– शराब,गाॅजा और सिगरेट की खपत बढी
जिले में पहले बड़े बुजुर्ग ही नशीली वस्तुओं के सेवन का शौंक रखते थे लेकिन तथाकथित विकास के दौर के साथ ही क्या बच्चें,क्या बूढे, छात्र -छात्राओं के साथ महिलाएं भी नशीली वस्तुओं के सेवन में पीछे नही हैं, नषा खोरी बढने का प्रमुख कारण गाॅव -गाॅव गली – मुहल्लों में संचालित दुकानों में आसानी से उपलब्धता को माना जा सकता हैं, वर्तमान में नई पीढी के युवाओं को चैक चैराहो में सिगरेट के धुएं का छल्ला उड़ाते हुए देखा जा सकता हैं,एक तरफ सरकार द्वारा शराबबंदी और नषामुक्ति अभियान को लेकर करोड़ो रू. खर्च कर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है वही दूसरी और गाॅव गाॅव में धडल्लें से अवैध शराब मुहैया करा धंधा कराया जा रहा हैं,आसानी से उपलब्धता के चलते आमलोग राशन/अनाज बेचकर नषा के दलदल में फंसकर गृहस्थी तबाह कर रहैं हैं,गुटका,शराब सिगरेट के साथ ही ग्रामीण सहित शहरी क्षेत्रों में गाॅजा का व्यापार चरम पर हैं,गाॅजे के कारोबारी जेब में रखकर पुडिया की डिलीवरी ग्राहकों तक पहूॅचा रहैं हैं।
डिंडौरी जैसै आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े क्षेत्र में प्रतिदिन नषीली वस्तुओं के कारोबारी करोड़ो रू. का व्यापार कर मोटी कमाई कर रहैं हैं। नशाखोरी के दुष्प्रभाव भी अब सामने आने लगे हैं,जिले में यकायक कैंसर की रोगियों की संख्या बढ रही हैं,समय रहते ईलाज न होने से आम लोग असमय ही काल के गाल में समा रहैं हैं।