Dindori News, डिंडौरी न्यूज। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित 15 वें वित्त एवं पांचवे वित्त की राशि इन दिनों ग्राम पंचायतों में जमकर खुर्द बुर्द की जा रही हैं, यूं तो आवंटित राशि व्यय किए जाने हेतु मंत्रालय से स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन डिंडौरी जनपद पंचायत में नियम निर्देश महज कागजों तक सीमित हैं।
कार्यों की प्राथमिकता तय करने हेतु ग्राम पंचायतों की प्रतिवर्ष जीपीडीपी कार्ययोजना बनाई जाती हैं, कार्ययोजना में दर्ज कार्यों पर व्यय किए जाने के नियम है,लेकिन ग्राम पंचायत सारंगपुर पड़रिया के सरपंच सचिव ने कार्ययोजना को ठेंगा दिखा मनमाने कार्यों के नाम पर लाखों रुपए का खेल कर रहे हैं।


ग्राम पंचायत की कार्ययोजना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023- 24 में प्रस्तावित 57 गतिविधियों में महज 03 गतिविधिया ही प्रारंभ की गई है, वित्तीय वर्ष 2024- 25 में प्रस्तावित 51गतिविधियों में महज 02 कार्य प्रारंभ किए गए हैं। जबकि ग्राम पंचायत सारंगपुर पड़रिया के द्वारा वार्षिक कार्ययोजना के विरुद्ध अन्य मनमानी कार्यों के नाम अपने खास फर्मों को नियम विरूद्ध तरीके से करोड़ों रुपयों का भुगतान किया गया है।

15 वें वित्त की राशि व्यय किए जाने के निर्देशो के विरुद्ध फोटो कॉपी और अन्य व्यय के नाम पर लाखों रुपए का बंदरबांट किया गया है। इतना ही सरकार के पारदर्शिता की मंशा पर बट्टा लगाते हुए विकास/निर्माण कार्यों की जगह सचिव राजेश मसराम स्वयं का और सरपंच पुत्र का फोटो प्रदर्शित कर रहे हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सचिव और सरपंच पुत्र अपना विकास भ्रष्टाचार करते हुए झोली भर रहे हैं। वहीं अन्य निर्माण कार्यों के नाम पर अंधेरा या अन्य भ्रामक फोटो लगाकर पारदर्शिता का मजाक उड़ाया जा रहा है।

– अधिकारियों की भूमिका को लेकर सवाल
पंचायती राज के अंतर्गत संचालित योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हेतु जनपद पंचायत स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पंचायत निरीक्षक समेत सेक्टर स्तर पर पंचायत समन्यवक अधिकारियों की तैनाती कर जवाबदेही तय की गई है लेकिन पंचायतों में व्याप्त अंधेरगर्दी को देख कर आंकलन किया जा सकता है कि जिम्मेदार कर्तव्यों एवं जवाबदेही को किनारे करते हुए मौज कर रहे हैं।

– अपनो को उपकृत करने भंडार क्रय नियम की उड़ाई धज्जियां
ग्राम पंचायत सारंगपुर पड़रिया के सचिव राजेश मसराम द्वारा अपने सगे संबंधी के नाम गौरव ट्रेड्स रजिस्टर्ड करा शासन को पलीता लगाया जा रहा है , जबकि नियमानुसार भंडार क्रय नियमो का पालन करते हुए निम्न दरों पर सामग्री प्रदान करने वाले सप्लायरों से मटेरियल क्रय किया जाना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार और बंदरबाट करने की संभावनाओं पर विराम लगाया जा सके। लेकिन स्थानीय प्रशासन ही जब बंदरबांट की खेल में साझेदार हो तो विकास कार्यों सहित शासन के दिशा निर्देश कागजों पर ही सिमटते रहेंगी। चहेते सप्लायरों को अवैध तौर पर लाखों का भुगतान कर बंटवारा किया जा रहा है।