डिंडौरी न्यूज। जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय से मानसिक विक्षिप्त बेसहारा घूम रहे हैं, जिसको लेकर शासन प्रशासन का उदासीन रवैया के चलते मानसिक विक्षिप्तों का जीवन भटकने में ही गुजर रही है। जिला मुख्यालय डिंडौरी में ही देखा जाए तो आधा दर्जन से अधिक विक्षिप्त भटकते हुए नजर आते हैं, इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
वहीं मनोरोगियों को लेकर तरह तरह की भ्रांतियां समाज में व्याप्त हैं, मरीजों के परिजन मानसिक विक्षिप्तों की ईलाज कराने की बजाय गुनिया पंडा/ ओझा से झाड़ फूंक करते हुए ठीक कराने का प्रयत्न करते हैं लेकिन सकारात्मक परिणाम न मिलने के चलते रोगियों को बेसहारा छोड़ देते हैं।

एक तरफ सरकार प्रत्येक जन्म से लेकर मृत्यु तक में सहायता राशि मुहैया कराने के लिए अनेकों योजना संचालित कर रही हैं वहीं दूसरी और मानसिक विक्षिप्त जीते जी जिंदा लाश बनकर भटक रहे हैं। शासन प्रशासन को मानसिक रोग को नियंत्रित करने हेतु नीतिगत कार्ययोजना बनाकर फैसला लागू करना चाहिए, जिससे मानसिक विक्षिप्तों को समाज में सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीवन जीने का असवर मिल सके।
– मानसिक विक्षिप्तों का उपचार संभव हैं
मानसिक विक्षिप्तता एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसे अक्सर समाज में नजरअंदाज किया जाता है। मानसिक विक्षिप्तता से प्रभावित लोग न केवल मानसिक तनाव और पीड़ा से जूझते हैं, बल्कि उन्हें समाज में उपेक्षाओं का भी सामना करना पड़ता है। इस गंभीर समस्या के प्रति सरकारी उदासीनता चिंताजनक है, क्योंकि इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी और मानसिक विक्षिप्तता से ग्रस्त लोगों के लिए पर्याप्त संसाधनों का अभाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। सरकारी योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव अक्सर मानसिक रोगियों के इलाज में रुकावट डालता है। इसके परिणामस्वरूप, बहुत से मानसिक रोगी सही उपचार न मिलने के कारण और अधिक गंभीर मानसिक समस्याओं का शिकार हो जाते हैं।
इसके अलावा, मानसिक विक्षिप्तता को लेकर समाज में भ्रांतियाँ और गलत धारणाएँ भी प्रचलित हैं, जिससे इन व्यक्तियों को और अधिक अलग-थलग किया जाता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में ठोस और प्रभावी नीतियाँ बनानी चाहिए। इसके तहत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाना, मानसिक विक्षिप्तता के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना और मानसिक रोगियों के लिए उचित इलाज की व्यवस्था करना आवश्यक है।
समाज को भी यह समझने की आवश्यकता है कि मानसिक विक्षिप्तता एक बीमारी है और इसके इलाज के लिए मानसिक रोगियों को सहायक वातावरण की जरूरत है। अगर सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाती है तो मानसिक विक्षिप्तता से प्रभावित व्यक्तियों का जीवन बदल सकता है और उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकार्यता मिल सकती है।