किसलपुरी/डिंडौरी । जिले के किसलपुरी गांव के किसान डिंडौरी-मंडला सड़क निर्माण करने वाली हेल्वेज कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा लगाये गए स्टोन क्रेशर से निकलने वाली डस्ट से परेशान है, किसानों की सालभर की मेहनत की लाखों रुपये की फसल बर्बाद हो रही है, किसानों के सामने जीवन यापन की समस्या खड़ी हो गई है,वही क्रेशर संचालक द्वारा एनजीटी और राज्य शासन द्वारा निर्धारित नियमो को ठेंगा दिखाया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किसानों को सिर्फ आश्वासन का झुनझुना पकड़ाया जा रहा है, पिछले 18 माह से परेशान किसान अब आरपार की लड़ाई का मन बना रहे है।
– स्टोन क्रेशर की डस्ट से परेशान किसान
अपनी फसलों की बर्बादी का दर्द लगातर सह रहे है, खेतो में लगी धान की फसल में दाने नही है, अरहर की पत्तियों और फूलों पर स्टोन की डस्ट जम गई है, खलिहान में रखी फसल पर डस्ट जमाने से फसल की गहाई नही हो पा रही है, खेत की उपजाऊ मिट्टी के ऊपर भी डस्ट जमाने से हल चलना मुश्किल हो गया है, फसल की पैदावार भी लगातर कम हो रही है। वही क्रेशर संचालक द्वारा पत्थर के लिए बारूद से विस्फोट कर निकले जा रहे है जिससे आसपास रहने वाले किसानों के घरों में दरारें आ गई है, अब हालात ये है की खेतो में फसल के साथ गांव की बस्ती में मकान भी ध्वस्त होने की कगार में है।

हेल्वेज कंस्ट्रक्शन कंपनी के किसलपुरी कैम्प के इंचार्ज ने किसानों की समस्या से अवगत होने और नियमो का पालन कर डस्ट से बचाव के उपायों का इस्तेमाल करने की बात कही वही डस्ट हवा की दिशा में फैल जाती है, जो किसानों के खेत के पहुच जाती है किसानों की समस्या को कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, जो भी निर्देश मिलेंगे उसके तहत कार्य किया जायेगा। वही जब इंचार्ज से सड़क निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटने और सारी लकड़ी अपने कब्जे में रखने के सवाल पर गोलमोल जवाब दे बचने का प्रयास किया गया।
जब किसानों की परेशानी को लेकर एसडीएम से बात की गई तो उन्होंने किसानों की शिकायत मिलने पर कार्यवाही की बात कही, बताया गया की स्टोन क्रेशर संचालक को नियमो का पालन करने और किसानों की फसलों का ध्यान में रखते हुए कार्य करने की हिदायत दी गई है। कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में पेड़ो को कटाई कर लकड़ी का स्वयं उपयोग करने के सवाल पर बताया कि पंचायत द्वारा लगाये गये पेड़ो का मुआवजा पंचायत और वन विभाग के द्वारा लगाये गये पेड़ो का मुआवजा वन विभाग को नीलामी के बाद मिलेगा।