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राष्ट्रपति के समक्ष जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर डिंडौरी जिले की दयाराम राठुड़िया और लेखपाल सिंह धुर्वे देंगे प्रस्तुति

डिंडौरी, 14 नवम्बर 2024 | भगवान बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन कल शुक्रवार ...

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Chetram Rajpoot

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डिंडौरी, 14 नवम्बर 2024 | भगवान बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन कल शुक्रवार को किया जाएगा जिसमें डिंडौरी जिले की क्षेत्रीय कला और संस्कृति को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए श्री दयाराम राठुड़िया और श्री लेखपाल धुर्वे दिल्ली पहुंचे हैं।
      ग्राम धुरकुटा निवासी श्री दयाराम राठुड़िया बैगा समुदाय से आते हैं और पिछले कई वर्षों से बैगा कला संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। श्री राठुड़िया ने बताया कि बैगा संस्कृति की परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज ने उन्हें जनजातीय गौरव दिवस पर प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया है।
राष्ट्रपति के समक्ष उनका समूह बैगा कला संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, खान-पान, रीति-रिवाज, रहन-सहन, सरकार द्वारा दिए जा रहे हितलाभ आदि की जानकारी प्रस्तुत करेंगे। श्री दयाराम राठुड़िया परधोनी नृत्य में पारंगत हैं, उन्होंने बताया कि उन्होंने नृत्य की बारीकियां उनके गुरू पद्मश्री पुरूस्कार से सम्मानित श्री अर्जुन सिंह धुर्वे से सीखी हैं। ग्रुप लीडर के रूप में वे परधौनी नृत्य करते हैं। उनके साथ उनके समूह में थागूराम, अंजली धुर्वे और ज्योति धुर्वे कल प्रस्तुति देंगे।
श्री राठुड़िया ने बताया कि बैगा संस्कृति में लोकनृत्य और संगीत की परंपरा पूर्वजों से चली आ रही है जिसे उन्होंने आज भी उसी स्वरूप में जीवित रखा है। बैगा संस्कृति में उत्सव पर्वों का प्रारंभ दशहरे के पर्व से होता है जिसमें दशहरा नृत्य, करमा नृत्य, परधौनी नृत्य आदि प्रमुख हैं। दशहरा नृत्य में गांव का समूह नृत्य करते हुए दूसरे गांव में जाता है और दूसरे समूह के साथ मिलकर नृत्य करता है। वहीं परधौनी नृत्य विवाह के अवसर पर बारात की अगवानी के लिए किया जाता है। परधौनी नृत्य प्रसन्नता की अभिव्यक्ति है जिसमें वर पक्ष की ओर से एक हाथी का स्वरूप बनाया जाता है और नृत्य किया जाता है। यह बैगा जीवन चक्र का अटूट हिस्सा माना जाता है।
श्री दयाराम राठुड़िया ने बैगा संस्कृति के संबंध में देश भर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। उन्होंने बैगा संस्कृति पर विस्तृत शोध करते हुए कार्य किया है, उन्होंने बताया कि वे धुरकुटा ग्राम में बैगा वेशभूषा की विक्रय दुकान का संचालन भी करते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुति देने के लिए भारत सरकार और मध्यप्रदेश शासन का आभार व्यक्त किया। श्री लेखपाल सिंह धुर्वे डिंडौरी के मेढ़ाखार ग्राम के निवासी हैं लेखपाल सिंह धुर्वे धुलिया जनजाति सें संबंधित हैं। श्री लेखपाल सिंह धुलिया जनजाति के गुदुम बाजा की परंपरा को आगे बढाने का कार्य कर रहे हैं।
श्री लेखपाल सिंह ने बताया कि गुदुम बाजा, डफ्ला, मंजीरा, टिमकी आदि हमारे परंपरागत वाद्य यंत्र हैं। गुदुम बाजा हमारे आदिवासी समाज में सम्मानीय हैं जिसे विवाह, जन्म, उत्सव, पर्व आदि शुभ अवसरों पर बजाकर संस्कृति में समावेशित करते हैं। हमारे समूह ने गुदुम बाजे को संस्कृति विभाग भारत सरकार, संस्कृति विभाग भोपाल, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र के सहयोग द्वारा डिंडौरी से भारत के कोने-कोने तक पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों में गुदुम बाजे की प्रस्तुति दी है। पिछले 20 वर्षों से वह गुदुम बाजा की प्रस्तुति दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुति करना हमारे लिए सम्मान का विषय है हमारे समूह में कोमल सिंह श्याम, विश्वनाथ लाल धुर्वे और सुखीराम मरावी जनजातीय गौरव दिवस पर गुदुम बाजा की प्रस्तुति देंगे।
       श्री दयाराम राठुड़िया और श्री लेखपाल सिंह धुर्वे ने बताया कि आज उनके समूहों के द्वारा संसद भवन दिल्ली में प्रस्तुति दी गई, और कल महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष अपनी संस्कृति के बारे में प्रस्तुति देंगे।
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