Dindori News, डिंडौरी न्यूज़। केंद्र में काबिज मोदी सरकार ने एक देश,एक टैक्स की मंशा को साकार करने कर संग्रहण की पुरानी पद्धति पर विराम लगाते हुए 1 जुलाई 2017 से जीएसटी अर्थात गुड सर्विस टैक्स लागू किया था, विधेयक के लागू होते ही वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी टिन नम्बर अमान्य हो गए थे, कानून के लागू होते ही जीएसटी अंतर्गत पंजीकृत बिल धारक ही व्यापार हेतु पात्र हैं लेकिन जिले में केंद्र सरकार की मंशा पर चूना पोतने का काम जोर शोर से किया जा रहा है वही आला अधिकारी आंख में पट्टी बांध कर तमाशबीन बने हुए हैं।
समनापुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत सुंदरपुर के पूर्व सरपंच सतेंद्र धुर्वे के भाई एवं वर्तमान सरपंच के देवर राजकुमार धुर्वे व उनके पत्नी के नाम पर फर्जी मस्टररोल जारी कर रोजगार गारंटी योजना में बड़े पैमाने पर धांधली को अंजाम देने का मामला उजागर हुआ था,जिसमें करोड़ पति सप्लायर सेठ का मेढ बाँध, खेत तालाब और अन्य निर्माण कार्यों में मजदूरी दर्शा कर बैखौफ घोटाला किया गया था, उससे भी बड़ा घोटाला एक बार फिर सामने आया हैं, ग्राम पंचायत के सचिव,सरपंच और सप्लायर ने बिल में जीएसटी का अवैधानिक नंबर दर्ज कर सरकारी खजाने से करोड़ो रूपये का भुगतान लेते हुए सरकार को लाखों रु विक्रय कर का भुगतान न करते हुए स्वयं उपयोग करते हुए खुद का राज चला रहें हैं।
वाणिज्य कर विभाग में टिन नंबर 23909218688 दर्ज
लाखों रु का टैक्स चोरी,बैखौफ कर रहें भ्रष्टाचार…?
पूर्व सरपंच सतेंद्र धुर्वे के भाई एवं वर्तमान सरपंच के देवर राजकुमार धुर्वे के नाम पर वाणिज्य कर विभाग में टिन नंबर 23909218688 दर्ज हैं, जो जीएसटी लागू होते ही अमान्य हो गया था, राजकुमार धुर्वे के नाम पर दिनांक 01/01/2018 को जीएसटी नंबर एम एस मटेरियल सप्लायर के नाम 23CRGPD9069R2Z2 रजिस्ट्रेशन कराया गया था लेकिन टैक्स का भुगतान नहीं करने की स्थिति में वाणिज्यक कर विभाग द्वारा दिनांक 29/11/2019 को जीएसटी रद्द किया गया था |
इसके बावजूद टिन नंबर और आमान्य जीएसटी नम्बर दर्ज बिल लगाकर सुंदरपुर समेत कई ग्राम पंचायतो एवं सरकारी विभागों से करोड़ो रु का भुगतान प्राप्त करते हुए जानबूझकर भुगतान कर्ताओं के साथ सांठ गाँठ कर शासन को लाखों रु की क्षति पहुंचाई गई हैं, ग्राम स्वराज एवं पंचायत राज अधिनियम को दरकिनार कर ग्राम पंचायत सुंदरपुर के सरपंच सचिव भ्रष्टाचार करते हुए शासन की आँखों में धूल झोंककर जनहित के नाम पर अपने परिवार का विकास कर रहें हैं, इन्हें न शासन का डर हैं ना क़ानून का भय हैं… आखिर किसके संरक्षण में सरकारी खजाने को चपत लगाई जा रही हैं समझ से परे हैं।
वाणिज्यक कर विभाग द्वारा दिनांक 29/11/2019 को जीएसटी रद्द किया गया था
इनका कहना हैं,,,
जीएसटी पंजीयन रद्द हो गया हैं इसकी जानकारी मुझे नहीं हैं, अब एमएस मटेरियल सप्लायर का बिल भुगतान नहीं करेंगें।