डिंडौरी। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा माने जाने वाली,हिंदू धर्मावलंबियों की आस्था और श्रद्धा की केंद्र पतित पावनी माँ नर्मदा में दिनों दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा हैं, सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा संरक्षण के बड़े बड़े वादे और दावे करते हुए चंद दिनों में ही प्रदूषण नियंत्रण हेतु ठोस कदम उठाने की बाते कही गई थी,लेकिन आज भी सरकारी वादे और दावे प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर महज दिखावा और पाखंड साबित हो रहे हैं।

सात गंदे नालों के जरिए नर्मदा में मिल रहा दूषित जल-मल
काफी लंबे समय से शहर वासियों के निस्तार और सीवेज का दूषित पानी नालियों के जरिये नर्मदा में प्रवाहित हो रहा है,जिसे नियंत्रित करने हेतु 2017 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण हेतु लगभग 33 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया था, जिसकी लागत वर्तमान में दोगुनी हो चुकी हैं लेकिन प्रदूषण के हालात जस की तस है। वही जानकारों की माने तो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण में नाला बंद करने का प्रावधान नहीं है,ऐसे में लसिर्फ पाइप लाइन बिछा देने से नर्मदा हो रहे प्रदुषण रोकना और शुद्धिकरण के दावे खोखले नजर आ रहे हैं।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट योजना के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह
नगर के 15 वार्डो के मुख्य मार्गो समेत छोटी गलियों को खोदकर पाइपलाइन बिछाया गया है, इस दौरान ठेकेदार के द्वारा नवीन सड़को को खोदकर पाइपलाइन डाला गया है,मार्गो पर पाइप लाइन का कार्य फिलहाल प्रगति पर है लेकिन ठेकेदार के कार्यप्रणाली और योजना की गतिविधियों का नजदीक से परिणात्मक अध्ययन करने पर सीवेज ट्रीटमेंट से स्वच्छता के दावे विफल होते हुए नजर आ रहे है।
मुख्यलाईन से घरों का कनेक्शन जोड़ना असंभव
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट योजना के तहत घरों के सामने मुख्य मार्गो में पाईप लाइन डाला गया है, जबकि यहाँ अधिकांश घरों में शौचालय एवं निस्तार का पानी निकालने की व्यवस्था मकानों के पीछे की तरफ से है, ऐसे में नगर वासियों का मानना है कि घर के पीछे से सीवेज टैप करने के लिए घरों को खोदना पड़ेगा जो संभव नहीं है, ऐसे में आने वाले दिनों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट महज मुह जुबानी विकास साबित हो सकता है जिसका लाभ नगरवासियों को मिलना मुश्किल होगा।

एनजीटी के निर्देशों का नही हो रहा पालन
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने नर्मदा प्रदूषण नियंत्रण हेतु विकासशील आदेश पारित करते हुए सूबे के मुख्य सचिव से लेकर प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, कलेक्टर, एवं सीएमओ को तमाम तरह के निर्देश दिए थे, प्रशासन ने एनजीटी को गुमराह करते हुए 23 सितंबर 2023 तक नर्मदा में मिल रहे ठोस अपशिष्ट को रोक लगाने की बात पेश जवाब में की थी, परन्तु तय समय सीमा गुजरने के 7 माह बाद भी हालत पहले से अधिक बदतर हो गए हैं। एनजीटी में याचिका दर्ज कराने वाले अधिवक्ता सम्यक जैन ने कलेक्टर विकास मिश्रा को पत्र लिखकर अधिकारी कर्मचारी व ठेकेदार के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने की मांग की है।वही अधिवक्ता से बात की गई तो उनका कहना है कि जल्द ही एनजीटी में अवमानना याचिका दायर करेंगें।