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Dindori News : शासकीय हाई स्कूल का भवन हुआ जर्जर,विद्यार्थियों के सिर पर मंडरा रहा खतरा

Dindori News, डिंडौरी। गौरतलब हैं कि मप्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने को लेकर अनेकों योजनाएं बनाकर हरसंभव ...

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Chetram Rajpoot

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Chetram Rajpoot

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Dindori News, डिंडौरी। गौरतलब हैं कि मप्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने को लेकर अनेकों योजनाएं बनाकर हरसंभव प्रयास कर रही हैं लेकिन नुमाइंदों की लापरवाही और अनदेखा करने से इनके कोई अर्थ नहीं हैं । क्योंकि सरकारी स्कूल के रखरखाव और उचित देखभाल के अभाव में भवन की जितनी दुर्दशा अभी देखी जा सकती हैं शायद इसके पहले कभी नहीं देखा गया यघपि तमाम प्रयासों के बाद भी सरकार की मंशा विफल हैं आज भी संसाधन और बेहतर शिक्षा के लिए गांव की शिक्षा मोहताज हैं । यघपि विभाग बेहतर व्यवस्था को लेकर कितने भी झूठे दावे कर लें किंतु धरातल की सच्चाई कुछ और हैं। ऐसा ही एक मामला डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर के हाईस्कूल का हैं जहां जर्जर भवन के चलते छात्र जान जोखिम में डाल शिक्षा हासिल करने मजबूर हैं । शनिवार को जब इस स्कूल के कक्षा नौवीं और दसवीं के क्लास रूम का जायजा लेने पहुंचे तो पाया कि भवन की दीवार के झुकने से बाहर की तरफ से प्लास्टर टूट कर जमीन पर गिर रहा हैं दीवारों में सीलन व दरार उभर आये हैं बिजली फिटिंग के बोर्ड बटन टूटे पड़े हैं इनके कारण पंखे और बल्ब बंद हैं क्लास रूम के अंदर एक तरफ की दीवार में पान व गुटखा के पीक के निशान बने हैं गंदगी और साफ-सफाई के अभाव हैं ।विघार्थी यहां बैठकर पढ़ने में डरते हैं बरसात में छत से पानी टपकता हैं बावजूद सब जानने देखने के बाद जिम्मेदार सुरक्षित व्यवस्था बनाने गंभीर नहीं हैं।गौरतलब हैं कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा नवमी से बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। इस स्कूल में में करीब 200 छात्र, छात्राओं का भविष्य संवारा जा रहा हैं।

डरें सहमे रहते हैं –

कक्षा दसवीं के छात्र विघा कुमार पिंकू पंद्राम खुशी कैतवार, नंदनी श्याम भावना गर्मे ने बताया कि वर्तमान में जर्जर भवन की कमजोर दीवार के साथ अन्य हिस्सों में लगातार हो रहें टूट फूट को देखकर और हमेशा उन्हें इस बात का डर रहता हैं कि कोई अप्रिय स्थिति न बने और वह सभी सही सलामत घर पहुंचे वह पढ़ाई के दौरान क्लास में डरें सहमे रहते हैं। गौरतलब हैं कि बाल मन में डर और भय पाल कर कितना अच्छा शिक्षा ग्रहण कर पाते होंगे और आगे क्या कमाल कर पाएंगे सोचनीय हैं। यघपि सुविधाओं के अभाव में शिक्षा के क्षेत्र में इनके पारंगत होकर प्रशिक्षित होने की कल्पना करना बेमानी हैं।हालांकि इस दरमियान संयोग से बीईओ भी स्कूल में मिल गए उन्हें जब इस समस्या से अवगत कराया गया तो उन्होंने मौके का निरीक्षण कर भवन की स्थिति देख चिंता जताया और मौके पर मौजूद शिक्षकों को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं।

अभिभावकों में नाराजगी –

हाई स्कूल में शुद्ध पेयजल और शौचालय में नियमित साफ सफाई की कमी जैसे अव्यवस्था को लेकर यहां के अभिभावकों में काफी नाराजगी देखी जा रही है उनका कहना हैं कि जब सरकार स्कूलों में सारे संसाधन उपलब्ध कराने गंभीर है तो फिर यहां व्यवस्था बनाने में क्यों रुचि नहीं लिया गया उन्होंने इसके लिए जिम्मेदारों को गलत ठहराकर उनकी भूमिका पर सवाल उठाया है इनका कहना था कि कार्यालय में बैठे बैठे निर्देशों को अमलीजामा पहनाने वाले जवाबदार मैदानी हकीकत देखने नहीं आतें तभी तो स्कूलों का ये हाल हैं जिम्मेदारों की विसंगति का परिणाम है कि उनके बच्चे संसाधन से अभावग्रस्त सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं ।और विभाग के जिम्मेदार कागज में सब बढ़िया बताकर अपनी पीठ खुद थपथपा रहें हैं।

व्यवस्था बनाओ साहब –

अभिभावकों व स्थानीय नागरिकों का कहना हैं कि जिम्मेदारों की अनदेखा पक्ष के चलते समस्या बरकरार हैं। यघपि वह डर के साये में रहकर शिक्षा अध्ययन करने मजबूर हैं बावजूद इस ओर शाला प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा है, ऐसे में लगातार अव्यवस्थाओं का सामना कर रहें विघार्थियों का मन अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने से कतराने लगा हैं यही वजह है कि इस स्कूल में प्रतिवर्ष दर्ज संख्या में कमी आ रही हैं।बताया गया कि स्कूल परिसर के आसपास खासकर पीछे खेत की तरफ गंदगी का आलम हैं। वहां बरसाती झाड़ियां उग आई हैं इनमें विषैले जीव जंतुओं का होने का भय छात्रों को बना रहता हैं। बावजूद छात्र ऐसे खराब वातावरण के बीच अपना भविष्य संवार रहे हैं। बहरहाल अव्यवस्थाओं से त्रस्त होकर आखिरकार इस स्कूल के विघार्थियों ने शासन प्रशासन से मांग की हैं कि रनिंग वाटर की व्यवस्था के साथ शौचालय व पेशाबघर की नियमित साफ सफाई कराई जाएं ताकि संक्रमित बीमारियों से बचाव हो ।

इनका कहना हैं,,,

 मरम्मत के लिए स्पेशल पैसा तो नहीं आता लेकिन कंटीजेंसी की राशि से छोटे मरम्मत कराए जा सकते हैं बड़े मरम्मत के लिए प्रस्ताव बनाकर ऊपर से राशि स्वीकृत कराना पड़ता हैं शिक्षकों को कहा है कि इंजिनियर को बुलाकर दिखाओ और दीवार को दुरुस्त करवाओ ।

  आर.के.पांडे, बीईओ करंजिया

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