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आखिर किसके संरक्षण में फल फूल रहा  झोलाछाप डॉक्टरों का कारोबार, प्रशासन को खुली चुनौती

गोरखपुर न्यूज़।  जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर सहित पूरे जनपद क्षेत्र के गांव गांव में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों की ...

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Chetram Rajpoot

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Chetram Rajpoot

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गोरखपुर न्यूज़।  जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर सहित पूरे जनपद क्षेत्र के गांव गांव में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार हैं। यह सभी बीमारियों के स्पेशलिस्ट बन लोगों को बेवकूफ बनाकर अपनी जेब भरने में लगे हैं।गौरतलब हैं कि इनके कारनामों के मामले आएं दिन सुर्खियां बटोरते हैं किंतु स्वास्थ्य विभाग सहित जिले का प्रशासनिक अमला इन पर कार्रवाई करने से कतरा रहा हैं। पिछले दिनों कार्रवाई के नाम पर विभाग जिला मुख्यालय के आसपास अभियान चलाकर खानापूर्ति कर लिया गया लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के झोलाछाप पर इनका ध्यान नहीं गया। यघपि ऐसा ही मामला आजकल गोरखपुर के कस्बा के चौराहे पर सेन क्लीनिक के नाम डॉक्टरी कर रहें बंगाली का जो सारे नियम कानून को अपनी जेब में रख गलत तरीके से इलाज कर लोगों की जान से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहा।इतना ही नहीं बल्कि यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के गरीब और भोले-भाले लोगों से उपचार के नाम पर उनसे अधिक रकम वसूल कर खुले आम लूटपाट मचा रखा हैं।
हालांकि पूर्व में इसके ऐसे तमाम संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत ब्लाक स्तर से लेकर जिले के अधिकारियों से की गई हैं,मगर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया परिणामस्वरूप इसके हौंसले बुलंद हैं ।गौरतलब हैं मानव स्वास्थ्य से संबंधित प्रत्येक बीमारी के लिए प्रशिक्षण संस्थान में में यह सिखाया जाता हैं कि किस बीमारी में कितने अनुपात का इंजेक्शन और टेबलेट इत्यादि दिया जाना हैं प्रशिक्षण उपरांत प्रशिक्षित और पारंगत होने पर डिप्लोमा लेकर इलाज करने की अनुमति दी जाती हैं लेकिन यहां जो झोलाछाप डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज कर रहे हैं इनके पास न तो कोई डिग्री है, और ना ही कोई रजिस्ट्रेशन यह हाई एंटीबायोटिक दवाएं देकर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं इनके बारे में लोग बताते हैं कि ये कांधे में बैग टांगें दोपहिया वाहन में बैठ धड़ल्ले से गांव गांव घूमकर सामान्य से लेकर बड़ी बड़ी बीमारियों का इलाज कर बकायदा पर्ची लिख रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि उपचार के बाद यह अपने क्लीनिक दवाई गोली और इंजेक्शन लगाते हैं। जबकि यह नियमविरुद्ध हैं। क्योंकि एलोपैथिक दवाओं का स्टाक इस तरह नहीं रखा जा सकता लेकिन यहां सब बराबर हैं अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खा जा वाली कहावत को चरितार्थ कर सबका भला हो रहा हैं।
– सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों के इलाज 
गौरतलब हैं कि झोलाछाप डॉक्टरों के पास न तो मान्यता प्राप्त डाॅक्टरी डिप्लोमा व डिग्री हैं और न उपचार करने के लिए विभागीय अनुमति बावजूद यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में समान्य सर्दी ज़ुकाम और वायरल बुखार से लेकर हृदयरोग,कैंसर, किडनी और बाबासीर, भगंदर, हाइड्रोसील, फिशर, के साथ  शुगर बीपी की बीमारी को ठीक करने का दावा करते हुए क्षेत्र की भोली-भाली जनता को ठगने में लगें हैं। हालांकि इस प्रकार के मामले अनेकों बार प्रकाश में आ चुका हैं यहां के सीधे सादे लोग आसानी से इनके झांसे में से आकर अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा गंवा जातें हैं हालांकि इस हालात से जवाबदार भलीभांति परिचित हैं लेकिन इनके मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए अब तक ठोस कदम नहीं उठाया गया कई बार तो इनके गलत इलाज से मरीज की जान खतरे में पड़ जाती हैं लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं होती ऐसे ही दो केस गोरखपुर चौराहे के पास सेन क्लीनिक के नाम से संचालित कर रहे बंगाली डॉक्टर का हैं जिसने चंदना के एक आदिवासी युवक के टांके खोलने में लापरवाही बरतते हुए अधिक पैसों की मांग किया था इसी प्रकार मानिकपुर पंचायत के पोषक गांव लालपुर की महिला का मामला है इसके गलत इलाज से महिला की जान पर बन आई थी तब महिला के पति ने दूसरे डॉक्टर से विधिवत इलाज कराया तो पत्नी की जान सुरक्षित बच पाई इस लापरवाही की शिकायत महिला के पति ने गाड़ासरई थाने में जाकर किया था ।
कार्रवाई नहीं होने से हैं बेलगाम –
ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए शासन के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं कि क्षेत्र में अवैध रूप से फर्जी डॉक्टर बन लोगों का इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक की समय समय पर जांच पड़ताल की जाये और गलत पाएं जाने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएं किंतु करंजिया विकासखंड में इस प्रकार की कार्रवाई को लंबे समय से अंजाम नहीं दिया गया है इससे यह आभास होता हैं जिन कंधों पर कार्रवाई का जिम्मा हैं वह या तो कार्रवाई करने से डरते हैं या कोई बड़ा कारण हो सकता हैं यघपि कार्रवाई न करना संदेह को जन्म देता हैं परिणामस्वरुप झोलाछाप बेलगाम हैं और दिन रात चांदी काटने में लगें हैं देखा जा रहा है कि जिम्मेदार अधिकारी कागजों में निरीक्षण कर झोलाछाप चिकित्सकों को संरक्षण दे रहे हैं। जबकि आम चर्चा तो यह भी है कि इनके मजबूत गठजोड़ के कारण इन्हें अभयदान दिया गया है बहरहाल आश्रयदाता के संरक्षण में यह निरंकुश होकर मनमानी करने में लगें हैं इसलिए इनके साथ साथ उन तमाम लोगों को चेहरे से पर्दा उठाकर बेनकाब करने की जरूरत जो इन्हें मनमानी करने के बदले में ले देकर संरक्षण दें रखें हैं।
लालपुर वाली महिला को तो स्वजन बेहोशी की हालत में गंभीर स्थिति में लेकर अस्पताल आएं थें मैंने लगभग दो घंटे के लगातार उपचार किया तब जाकर महिला होश में आई और बड़ी मुश्किल से जान बचाया गया। हालांकि इस बंगाली के इस तरह के और भी बिगड़े केस आएं हैं उक्त मामले को लेकर मैंने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया था परंतु क्या कार्रवाई आज तक नहीं पता ।
डाॅ अंकित तिवारी मेडिकल आफीसर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरखपुर
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