आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले में नियम और निर्देश महज कागजों में सिमट कर रहे गए हैं, पूंजीपति और राजनीतिक रसूखदार बेधड़क होकर शासन के नियम निर्देशों को कुचलने पर आमादा हैं। नक्सल प्रभावित डिंडौरी जिला आंतरिक सुरक्षा के दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है किंतु रसूखदार धड़ल्ले से विस्फोटक सामग्री का परिवहन और खदानों में विस्फोटक सामग्री उपयोग कर रहे हैं यह चिंताजनक है।
डिंडौरी और उमरिया जिले के सीमा में स्तिथ पाकर बघर्रा में स्थापित सरस्वती स्टोन क्रेशर संचालक लंबे समय से खनन नीति और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों को ताक में रखकर क्रेशर का संचालन कर रहा है,पत्थर खदानों में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, एक ओर जहां प्रशासन द्वारा आए दिन अवैध उत्खनन पर कार्यवाही का दंभ भरता है, दूसरी ओर पाकर बघर्रा ग्राम में पत्थर खदान के नाम पर 40 -50 फिट खाई खोद दी गई है।क्रेशर संचालक द्वारा किये जा रहे नियमों के उल्लंघन ने खनिज विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। ग्राम के आस-पास का इलाका पत्थर खनन और धूल उगलती क्रेशरों की भारी कीमत चुका रहा है।
स्थानीय भाषा में ग्रामीण इतनी गहरी खुदाई को पातालफोड़ खुदाई कहते हैं। इस तरह की मनमानी पूर्वक खुदाई खान अधिनियम 1952 का खुला उल्लंघन है। अधिनियम के अनुसार खनन उच्चतम बिंदु से निम्नतम बिंदु के 6 मीटर की गहराई तक ही हो सकता है लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता हो तो कुछ भी संभव है।
कृषि भूमि हो गई बंजर,सिलगी नदी का अस्तित्व खतरे में
ग्रामीणों ने बताया कि सरस्वती स्टोन क्रशर संचालक के द्वारा उच्च क्षमता के विस्फोटक का एक माह में 4 से 5 बार प्रयोग किया जाता हैं,बारूदी धमाकों से पाकर बघर्रा समेत 4-5 किलोमीटर के एरिया में तीव्र कम्पन महसूस किया जाता है, साथ ही घरों में दरारें पड़ गई हैं। धमाकों के चलते पानी का स्रोत भटकने से अनेको ग्रामीणों का बोर सूख गया है, वही रात दिन क्रेशर चलने से आसपास की जमीनों में डस्ट की मोटी परत जम गई हैं जिसके चलते कई एकड़ भूमि बंजर भूमि में तब्दील हो गई हैं,क्रेशर के समीप प्रवाहित सिलगी नदी में दिनोदिन प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है जिससे सिलगी नदी के अस्तित्व खतरे में है।
विस्फोट पर रोक लगाने ग्राम पंचायत ने पारित किया प्रस्ताव
ग्राम पंचायत के द्वारा 02 अक्टूबर 2023 को प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे उल्लेख है कि क्रेशर संचालक द्वारा बहुत अधिक विस्फोट करने से हैंडपंप और कुआं सूख गए हैं,और जमीन का संतुलन बिगड़ रहा है,जिससे आमजनों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है,ग्राम सभा ने सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए विस्फोट पर रोक लगाने की मांग किया था, ग्राम पंचायत द्वारा दिनांक 21/11/2023 को कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत कराया गया कि क्रेशर संचालक के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से भूमि में अंधाधुंध खनन किया गया है,अत्यधिक विस्फोट से गांव की जमीन असंतुलित हो रही हैं जिससे ग्रामीणों को पीने का पानी नही मिल रहा है, ग्रामीणों ने क्रेशर को बंद कराये जाने की मांग की है जिसकी सूचना एसडीएम को भी दी गई है।
खनन नीति और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों की उड़ाई धज्जियां
पत्थर खनन के लिए खनन नीति अनुसार 6 मीटर अधिकतम खनन का प्रावधान है वही क्रेशर संचालन के लिए मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों की खुली अवहेलना की जा रही हैं, बोर्ड द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र में स्पष्ट लेख है कि परिवहन एवं आंतरिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न कणों को उत्सर्जन के लिए परिसर के सभी आंतरिक सड़को को पक्का बनाया जाना है । परिसर में पर्यावरण सुधार के लिए आसपास कम से कम 4 -4 मीटर की दूरी में तीन लाइनों में स्थानिय प्रजाति के पेड़ लगाए जाने हैं। प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के लिए अलग से विद्युत मीटर लगाया जाना है, पानी छिड़काव प्रणाली सहित धूल रोकथाम सह दमन प्रणाली इकाई प्रारम्भ होने से पहले स्थापित किया जाना है,किंतु पाकर बघर्रा में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशो की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
इनका कहना है,,,
पाकर बघर्रा में दिन रात क्रेशर संचालित किया जा रहा है जिसमें डस्ट और धूल से होने वाले प्रदूषण के लिए कोई व्यवस्था नही की गई है, उच्च क्षमता के विस्फोट से गाँव दहल रहा है,मकान क्षतिग्रस्त हो रहे हैं जिससे ग्रामीण भयभीत हैं। गाँव में हैंडपंप और कुआँ सूख गए हैं जिससे लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। विस्फोट पर रोक लगाने ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर जिला प्रशासन को भेजा गया है।
कौशल नेताम, सरपंच ग्राम पंचायत पाकरबघर्रा