डिंडौरी न्यूज। जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर के मंडी प्रांगण में रविवार को शोभापुर में बनने वाले प्रस्तावित बांध का विरोध दर्ज कराने तथा आगामी दिनों में किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले होने वाले महापंचायत की रुपरेखा तैयार करने हेतु डूब प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने बैठक का आयोजन किया । गौरतलब हैं कि इस बांध के विरोध में अब जनता लगातार अलग अलग गांव कस्बा में बैठकों का आयोजन कर रही इसके निरस्तीकरण के लिए लामबंद होते हुए अपने प्रयास तेज कर दी हैं लोगों को कहना हैं कि इस क्षेत्र में पेसा एक्ट प्रभावशाली हैं बावजूद उस एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा हैं बल्कि शासन प्रशासन मनमर्जी करते हुए जबरदस्ती बांध निर्माण करवाने पर तुला हैं जो कि न्यायोचित नहीं हैं यह हमारे उन सभी अधिकारों का हनन हैं जो हमें संविधान के तहत प्राप्त हैं ।
कानूनी लड़ाई लड़ेंगे –
बैठक में बांध के विरोध करने पहुंचे सैकड़ों लोगों के मन में लगातार आक्रोश बढ़ता देखा जा रहा हैं,इसी के कारण लोग कानूनी लड़ाई लड़ने के साथ साथ बांध निर्माण को रोकने हरसंभव प्रयास करने की बात कह रहें हैं । इन्होंने बताया कि बांध बनाने के लिए शासन प्रशासन छल कपट और साजिश कर रहा हैं। वहीं भोपाल और दिल्ली में बैठे संबंधित विभागीय अधिकारी कर्मचारी नेता मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय को गलत जानकारी देकर डूब क्षेत्र की तमाम सिंचित व उपजाऊ भूमि को असिंचित बताकर भ्रमित किया गया हैं ।जबकि यहां की भूमि में वैसे भी दोनों सीजन की फसलों से कृषक पर्याप्त अनाज पैदा कर रहें हैं । यघपि शासन प्रशासन यहां जबरदस्ती बांध न बनवाएं बल्कि तत्काल बांध निरस्त करवाने का आदेश जारी करें। गौरतलब हैं कि इस बांध के निर्माण से पुष्पराजगढ़ अनुपपुर के 12 ग्राम एंव डिण्डौरी जिले के 17 गांव डूब प्रभावित हैं।
बगैर सहमति के जमींन कैसे होगा अधिगृहित..?
डूब प्रभावित क्षेत्रों से आएं लोगों ने रविवार को एक स्वर में बांध विरोधी नारे लगाते हुए कहा कि किसी भी निर्माण कार्य के लिए जमीन अधिग्रहण करते समय नियम के अनुपात में भूस्वामियों की सहमति चाहिए लेकिन यहां अनुमति तो दूर किसी जिम्मेदार ने आकर आमजनता से बात करना मुनासिब नहीं समझे, फिर उस नियम के विरुद्ध जाकर कैसे निर्माण की बात कहा जा रहा हैं सरकार ने ही जब आदिवासियों कि जमीन खरीद बिक्री पर रोक लगाया हैं तो सरकार भी बिना किसानों कि सहमति के जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकता । किसानों का कहना हैं कि हजारों परिवारों को उजाड़ कर दूसरे क्षेत्रों के लोगों को खुशी देना कहां का न्याय हैं, वैसे भी किसान सदियों से अपने परिवार के पालन पोषण के लिए इन्हीं जमीनों पर आश्रित हैं वे कृषि के अलावा कोई दूसरा कारोबार व्यवसाय अथवा अन्य काम नहीं कर सकते लिहाजा शासन प्रशासन को अपना निर्णय बदलना होगा।
पेसा अधिनियम का नहीं हो रहा पालन –
रविवार को बांध के विरोध में हुए बैठक के दौरान वक्ताओं ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में बताया कि पेसा एक्ट के अंतर्गत इस क्षेत्र को ऐसा अधिकार प्राप्त हैं कि यहां के निवासियों से बगैर बातचीत और उनकी अनुमति के बिना किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता बावजूद इसके बांध निर्माण को प्रस्तावित करना उस अधिकार का हनन हैं। पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 व मध्यप्रदेश पेसा नियम 2022 में यह भी प्रावधान हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण या विकास परियोजनाओं से पहले तथा अनुसूचित क्षेत्रों में ऐसी परियोजनाओं से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास या पुनर्वास से पहले ग्राम सभा या उचित स्तर पर पंचायतों से परामर्श किया जाएगा, अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजनाओं की वास्तविक योजना और कार्यान्वयन का समन्वय राज्य स्तर पर किया जाएगा।
ये रहें उपस्थित –
बैठक में मुसामुंडी सरपंच कपिल आर्मो,गोगपा जिअ वीरेंद्र तेकाम,जनपद अध्यक्ष चरण सिंह धुर्वे,कस्बा के मुकद्दम लल्लू तेकाम वीरेंद्र तेकाम, शिवचरण धुर्वे, रामकुमार मसराम,जेठू सिंह मसराम,तबलूटोला से लालजी मोंगरे, रितेश तेकाम,परसवाह से शालिक राम धुर्वे,शोभापुर से योगेश मरकाम,पिपरखुट्टा राजकुमार पट्टा,चिंताराम परस्ते,रहंगी नर्बद मरावी मुसामुंडी देवानंद नेटी, सहित दर्जनों लोग मौजूद रहें।