– हैंडपंप पंपों ने तोड़ा दम,कुएं में नहीं बचा पानी
– तीन माह से बंद जल जीवन मिशन योजना की नजजल योजना
डिंडौरी। जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पाटनगढ़ के पोषक गांव सुनपुरी के नागरिक लंबे समय से जलसंकट से जूझ रहे हैं इन्होंने पेयजल के विकराल होते समस्या के हल के लिए जिम्मेदारो के दरवाजे खटखटाएं लेकिन जब निराकरण की दिशा पहल नहीं होने की सूरत पर इनका धैर्य जवाब दे गया और ये सभी शनिवार को लामबंद होकर गांव के मुहाने पर बिजली खंभे में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार तथा गांव के अंदर राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार प्रसार प्रतिबंध लिखकर बैनर लगाया हैं । प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां चार वार्ड में दो सौ परिवारों के लगभग छः सौ लोग निवास करते हैं जिन्हें पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है वर्तमान में गांव की स्थिति यह है कि गांव के अंदर हैंडपंप अभी से दम तोड़ दिए घाट के नीचे कुएं में पानी नहीं बचा ऐसे हालात में यहां के लोग घूंट घूंट पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं कहने को घाट के नीचे तीन कुएं हैं मगर इनमें से एक कुए का पानी ही पानी लायक है लेकिन यह अभी से सूख गया बाकि दो कुओं का पानी पीने लायक नहीं है इन सब के बीच हैरान करने वाली बात यह है कि तीन माह से यहां जलजीवन मिशन योजना से पानी सप्लाई बंद हैं बावजूद इसके किसी ने सुधार कार्य या सुचारू रूप से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था बनाने का प्रयास नहीं किया जिससे ग्रामीणों की समस्या दोगुनी हो गई है ।
तीन माह से ठप्प हैं जल जीवन मिशन योजना –
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि जैसे तैसे यहां जलजीवन मिशन योजना से काम कराया गया है लेकिन यह भी असफल हैं सबसे दुखद पहलू यह है कि यहां तीन माह से जल जीवन मिशन योजना ठप्प पड़ा है पर इसे सुचारू रूप से चलाने न तो विभाग गंभीर है और न ही ग्राम पंचायत और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाया गया जबकि शासन प्रशासन का प्रयास हैं कि गांव गांव में पानी पहुंचना चाहिए फिर हमें क्यूं उपेक्षित रखा गया हमारे सामने तो दोहरी संकट हैं क्योंकि प्रतिवर्ष गर्मी के आते आते प्राकृतिक जलस्त्रोत साथ छोड़ देते हैं जलजीवन मिशन से उम्मीद था कि शायद अब उस भयावह स्थिति से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन यह भी दिखावा साबित हुआ इसलिए गांव के अंदर पेयजल की गंभीर स्थिति हैं ग्रामीणों की मानें तो यहां जो बोर कराया गया था वह पर्याप्त पानी देने में सक्षम नहीं हैं।
पेयजल के लिए करते हैं रतजगा –
सुनपुरी गांव में व्याप्त जलसंकट के चलते स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग पीने के पानी के लिए हैंडपंप कुओं के पास बैठकर रतजगा करने मजबूर हैं ग्राम के नागरिक सविता बाई परस्ते ने बताया कि यहां एक हैंडपंप है इसमें इतनी भीड़ रहती हैं कि घंटों इंतजार करना पड़ता हैं। तब जाकर एक बाल्टी पानी नसीब होता इस पर भी अगर जलस्तर नीचे सरका तो फिर घंटों इंतजार के बाद पानी ऊपर आता हैं। इस प्रकार सारा समय पानी में खर्च होता हैं बावजूद इसके पर्याप्त पानी नहीं मिलता कई बार तो हैंडपंप जलापूर्ति करने के पहले ही बंद हो जाता है। इसी तरह घाट के नीचे कुए में लोग रात भर पानी ऊपर आने के इंतजार में बैठे रहते हालांकि यह भी अब सूखने की कगार पर पहुंच गया है इसलिए लोगों को रात भर जागकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को हो रहीं हैं। सुबह उठते ही पेयजल के इंतजाम के लिए महिलाओं को भागना पड़ रहा है। साथ ही बच्चों को भी पानी भरने को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके चलते बच्चों और महिलाओं को दिनचर्या प्रभावित हो रही है। गांव के सुखराम मरावी ने बताया कि वे पेयजल के लिए अपने परिवार के साथ रात में 12 बजे कुंआ जाकर पानी लाते हैं। यदि ये इस समय में कुंआ तक नहीं पहुंचे तो उसका नंबर नहीं लगता। लोग रात और दिन बराबर डेरा डाले रहते हैं। तब जाकर पीने के पानी का इंतजाम होता है। अपनी बारी के लिए रात में नंबर लगाना पड़ता है। गाँव की सावित्री बाई धुर्वे ने बताया की उन्होंने सुबह चार बजे हैंडपंप के पास पेयजल के लिए नंबर लगाया था। सुबह पांच बजे उसका नंबर आया और पानी मिल सका। गांव के अंदर लोगों कीप्यास बुझाने के लिए एक ही हैंडपंप है। लगातार पानी निकालने से इसका जलस्तर नीचे सरक जाता है, फिर घंटों इंतजार करने के बाद पानी ऊपर चढ़ता हैं। इसके बाद हो बामुश्किल दो गुंड़ी पानी नसीब होता है। यदि रात में यहां नंबर न लगाया गया तो दिन में पानी मिलना मुश्किल हैं, क्योंकि पूरे गांव के लोग रात में ही अपनी बारी के लिए खाली बर्तनों को हैंडपंप के करीब रख जाते हैं। बताया गया कि पेयजल के दूसरे साधन नहीं होने से यह हालात बने हैं, जबकि यहां बारहमासी पेयजल संकट की स्थिति बनी रहतीं हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में यह संकट विकराल रूप ले लेता है। इंद्रा बाई धुर्वे ने बताया कि ऊबड़ खाबड़ पथरीले रास्ते से पानी के लिए दलान उतरकर आना जाना किसी युद्ध लड़ने से कम नहीं है। पथरीले रास्ते से खाली बर्तन लेकर ढलान उतर तो जाते हैं, लेकिन पानी से भरे बर्तन लेकर उतनी ही चढ़ाई चड़ने में हमेशा फिसलने का डर बना रहता है। परंतु पेयजल का कोई दूसरा विकल्प भी नहीं हैं इसलिए मजबूरन इन्हीं पथरीले रास्ते से पानी के भरे बर्तन लेकर आते हैं।
पानी के अभाव में नहाना दुष्वार –
लक्ष्मी मरावी,प्रमोद मरावी हेमराज धुर्वे,रचना यादव, सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम के अंदर पानी की इस तरह समस्या है कि यहां के लोग पांच पांच दिन के अंतराल में नहाते हैं और भगवान से यह भी मनाते हैं कि इन दिनों कोई मेहमान न आएं क्योंकि मेहमान आने के नाम पर स्थानीय लोग डर जाते हैं पेयजल की कमी के असर से केवल इंसान ही परेशान हैं ऐसा नहीं है बल्कि यहां के पालतू पशुओं को भी पर्याप्त पीने का पानी नहीं मिलता बहरहाल इन्हें लंबी दूरी तय कर नदी या तालाब लेकर जाना पड़ता है ।
इनका कहना हैं,,
पेयजल की समस्या के बारे में विधानसभा चुनाव के दौरान जानकारी लगीं थी यहां विभाग के द्वारा दो बोर कराया गया था,लेकिन बोर धसक गया फिलहाल टैंकर से पानी सप्लाई करने की व्यवस्था की गई है और दो चार दिन में नई मशीन लगाकर पानी सप्लाई चालू करा दिया जाएगा ।
आर.एस. कुशवाह,जनपद सीईओ करंजिया